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Jaunpur Lok Sabha: जेल गए धनंजय सिंह के लिए जौनपुर जीतेंगी श्रीकला या BJP पर होगी 'कृपा'? 

Jaunpur Lok Sabha Seat: यूपी की जौनपुर लोकसभा सीट पर धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी सिंह भी चुनाव में उतर गई हैं. इस सीट पर बीजेपी की ओर से कृपाशंकर सिंह तो सपा की ओर से बाबू सिंह कुशवाहा चुनाव लड़ रहे हैं.

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Jaunpur Lok Sabha Seat
Courtesy: India Daily Live

इस बार लोकसभा चुनाव के लिए टिकट बंटने से पहले से ही उत्तर प्रदेश की जौनपुर लोकसभा सीट काफी चर्चा में रही है. चर्चित पूर्व IAS अधिकारी अभिषेक सिंह हों या फिर माफिया धनंजय सिंह. इस सीट से हर पार्टी के पास टिकट मांगने वालों की लंबी लाइन रही. आखिर में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने महाराष्ट्र की सरकार में मंत्री रह चुके कृपाशंकर सिंह को टिकट दे दिया और धनंजय सिंह जेल चले गए. अब धनजंय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी को बहुजन समाज पार्टी का टिकट मिलने से यहां का चुनाव रोमांचक हो गया है. वहीं, समाजवादी पार्टी ने इस सीट से पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा को चुनाव में उतार दिया है.

कृपाशंकर सिंह vs बाबू सिंह कुशवाहा

सपा-कांग्रेस गठबंधन के तहत यह सीट सपा के हिस्से आई थी. सपा ने बसपा सरकार में मंत्री रहे बाबू सिंह कुशवाहा को यहां चुनाव में उतारा है. वहीं, बीजेपी ने महाराष्ट्र सरकार में मंत्री रह चुके पूर्व ब्यूरोक्रेट कृपाशंकर सिंह को चुनाव में उतार दिया है. बाबू सिंह कुशवाहा की जन अधिकारी पार्टी के बीच 2022 के विधानसभा चुनाव में भी गठबंधन की बात हुई थी लेकिन नतीजे तक नहीं पहुंच पाई थी. इस बार बाबू सिंह कुशवाहा सपा के टिकट पर मैदान में हैं.

धनंजय पर मायावती को भरोसा?

साल 2009 में धनंजय सिंह मायावती की BSP से ही चुनाव लड़कर जीते थे और पहली बार सांसद बने थे. 2014 में मायावती ने उन्हें टिकट नहीं दिया और धनंजय सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ गए. नतीजा यह हुआ कि बसपा नंबर 2 पर रह गई और बीजेपी ने बाजी मार ली. इस बार जब धनंजय सिंह अपहरण केस में सजा पाकर जेल चले गए हैं और खुद चुनाव नहीं लड़ सकते तो उनकी पत्नी श्रीकला रेड्डी चुनाव मैदान में हैं. इस बार बसपा ने श्रीकला रेड्डी को टिकट देकर इस सीट पर होने वाले चुनाव को और रोमांचक बना दिया है.

जौनपुर का जातीय समीकरण

इस सीट पर सबसे ज्यादा ब्राह्मण 15.72 पर्सेंट, दूसरे नंबर पर 13.30 पर्सेंट राजपूत हैं.  यही कारण है कि अब तक हुए कुल 17 चुनावों में से 11 बार यहां से राजपूत ही चुनाव जीते हैं. हर चुनाव में कम से कम दो पार्टी राजपूतों को चुनाव भी लड़ाती रही हैं. इस बार भी कृपाशंकर सिंह और श्रीकला रेड्डी सिंह चुनाव मैदान में हैं. इस सीट पर 2 लाख मुस्लिम, 2 लाख यादव और 2 लाख दलित मतदाता भी हैं जो किसी भी पक्ष में जाकर परिणाम बदल सकते हैं.

10 चुनाव में लगातार 2 बार नहीं जीती कोई पार्टी

पिछले 10 लोकसभा चुनावों की बात करें तो कोई भी पार्टी लगातार दो बार यहां से चुनाव नहीं जीत पाई है. 2019 में इस सीट बसपा-सपा गठबंधन की ओर से बसपा से श्याम सिंह यादव चुनाव जीते थे. 2024 आते-आते उनका भी बसपा से मोहभंग हो गया. पिछले 10 चुनावों में सबसे ज्यादा 4 बार बीजेपी ने इस सीट पर जीत हासिल की है. बीजेपी के अलावा सपा और बसपा ने दो-दो बार चुनाव जीता है. जनता दल और कांग्रेस भी एक-एक बार चुनाव जीत चुकी हैं.