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Hyderabad Lok Sabha Seat: तीखे तेवर और कट्टर हिंदुत्व से असुदुद्दीन ओवैसी का किला ढहा पाएंगी माधवी लता?

Hyderabad Elections: हैदराबाद की लोकसभा सीट पर इस बार का चुनाव काफी रोमांचक हो रहा है. असदुद्दीन ओवैसी को चुनौती देने के लिए बीजेपी की माधवी लता मैदान में हैं.

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Hyderabad Lok Sabha Seat
Courtesy: India Daily Live

तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद अपनी चार मीनार, बिरयानी और अपने सांसद असदुद्दीन ओवैसी की वजह से देशभर में चर्चा बटोरती है. आमतौर पर असदुद्दीन यहां से एकतरफा चुनाव जीतते हैं और उनकी जीत का अंसर भी अच्छा-खासा होता है. इस बार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने माधवी लता को चुनाव में उतारकर हैदराबाद सीट के चुनाव को रोमांचक बना दिया है. माधवी लता सीधे ओवैसी पर हमला बोल रही हैं तो असदुद्दीन ओवैसी हर बार की तरह अपने कोर वोटरों और अपने समीकरण को ध्यान में रखकर जमीन पर जोर लगा रहे हैं.

टिकट मिलने के बाद से ही माधवी लता चर्चा में हैं. पहले अपने सामाजिक कार्यों से चर्चा में रहने वाली माधवी लता अब हर दिन अपने बयानों से खबर बनती हैं. हाल ही में एक मस्जिद की ओर तीर छोड़ने का इशारा करके आग में घी डालने का काम किया है. उनके बयान भी इशारा कर रहे हैं कि इस सीट पर बीजेपी की पूरी कोशिश ध्रुवीकरण के सहारे वोटबैंक मजबूत करने और ओवैसी को हराने की है.

कितना मजबूत है ओवैसी का किला?

हैदराबाद लोकसभा सीट के अंतर्गत कुल 7 विधानसभा सीट हैं. इसमें से 6 पर AIMIM के विधायक हैं और एक विधायक बीजेपी का है. हैदराबाद से लगातार सात पर असदुद्दीन ओवैसी के पिता सुल्तान सहाहुद्दीन ओवैसी लगातार सात बार सांसद रहे. उनके बाद 2004 से अब तक लगातार चार बार असदुद्दीन ओवैसी भी चुनाव जीत चुके हैं. यानी इस सीट पर 1984 से अभी तक लगातार असदुद्दीन ओवैसी के परिवार का कब्जा है.

पिछले दो चुनावों की बात करें तो असदुद्दीन ओवैसी को 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले हैं. लगातार दो बार से बीजेपी नंबर पर दो पर रह रही है लेकिन उसके वोट ओवैसी की तुलना में काफी कम हैं. वहीं, हर बार ओवैसी के साथ फ्रेंडली चुनाव लड़ने वाली बीआरएस भी उनका काम आसान कर देती है. इस बार भी बीआरएश के जी श्रीनिवास यादव को चुनाव में उतारा है.

क्या है हैदराबाद का समीकरण?

इस सीट पर असदुद्दीन ओवैसी के कब्जे की सबसे बड़ी वजह लगभग 11 लाख से ज्यादा यानी कुल 59 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं. बाकी की हिंदू जनसंख्या के वोटों में बंटवारा होने के चलते हर बार ओवैसी की राह आसान होती है. इसके अलावा, लगातार यहां सक्रिय रहने और लोगों के मुद्दे उठाने की वजह से ओवैसी सबके चहेते भी बने रहते हैं. हालांकि, इस बार बीजेपी की कोशिश है कि हिंदू मतदाताओं को लामबंद किया जाए और असदुद्दीन ओवैसी को चुनौती दी जा सके.

बता दें कि हर समय कांग्रेस का विरोध करने वाले असदुद्दीन ओवैसी की राहें इस बार कांग्रेस ने ही आसान कर दी हैं. कांग्रेस ने इस सीट पर असदुद्दीन ओवैसी का समर्थन करने का ऐलान किया है, जिससे बीजेपी की माधवी लता भी हैरान हैं. माधवी लता ने इसे अपमान बताया है.

कौन हैं माधवी लता?

49 साल की माधवी लता सामाजिक कार्यकर्ता और भरतनाट्यम की प्रोफेशनल डांसर होने के साथ-साथ अच्छा गायिका भी हैं. उन्होंने हैदराबाद के निजाम कॉलेज से पढ़ाई की है. वह कुछ समय तक टीचर भी रही हैं. माधवी का दावा है कि इस बार उन्हें मुसलमान भी खूब वोट देंगे. उनका दावा है कि इस बार ओवैसी एक लाख वोट से चुनाव हार जाएंगे.