उत्तर प्रदेश की आंवला लोकसभा सीट पर जमकर सियासी ड्रामा हुआ. बहुजन समाज पार्टी की ओर से दो उम्मीदवारों ने सांसदी का पर्चा भरा, जिसके बाद चुनाव अधिकारी परेशान हो गए कि किसके नामांकन को असली मानें. अधिकारियों ने दोनों उम्मीदवारों की उम्मीदवारी रद्द कर दी. जब मामला बढ़ा तो खुद मायावती को इसमें उतरना पड़ा. उन्होंने रिटर्निंग अधिकारी से बात की तब जाकर यह फाइनल हुआ कि कौन यहां से चुनाव लड़ रहा है.
रिटर्निंग अधिकारी ने अब आंवला सीट से आबिद अली का नामांकन फॉर्म मंजूर कर लिया है. सतवीर सिंह और आबिद अली दोनों इसी सीट से लोकसभा के लिए दावेदारीपेश कर रहे थे. दोनों ने बसपा के ही चुनाव चिह्न पर अपनी दावेदारी पेश की थी. दोनों ने दावा किया कि वे आधिकारिक उम्मीदवार हैं.
क्यों मायावती को करनी पड़ी जूम मीटिंग?
जब मायावती को यह खबर लगी तो उन्होंने बड़ा कदम उठाया. उन्होंने आबिद अली के नामांकन को स्वीकार कर लिया और अधिकारियों के साथ जूम कॉल पर मीटिंग की. उन्होंने कहा कि सतवीर सिंह के खिलाफ FIR दर्ज होनी चाहिए. असली दावेदार आबिद अली ही हैं. बसपा सुप्रीमो मायवती से बातचीत के बाद मामला शांत हुआ.
क्यों साजिश बता रही हैं मायावती?
आबिद अली और पार्टी जिला अध्यक्ष राजीव कुमार सिंह का दावा है कि यह एक साजिश थी. आबिद अली ने दावा किया कि सतवीर सिंह ने मुस्लिम मतदाताओं को नीरज मौर्य के पक्ष में करने के लिए यह साजिश रची है. नीरज मौर्य सपा से चुनाव लड़ रहे हैं. आबिद अली ने रो कर कहा कि सपा को सबक सिखाना है.
अब अपने नामांकन फॉर्म पर पार्टी अध्यक्ष मायावती के फर्जी हस्ताक्षर करने के आरोप में सतवीर सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. बताया जा रहा है कि एफआईआर पार्टी जिला अध्यक्ष की शिकायत पर दर्ज की गई है.
कब है आंवला में चुनाव?
आंवला संसदीय सीट पर 7 मई को तीसरे चरण के तहत मतदान होगा. बीजेपी ने इस सीट से मौजूदा सांसद धर्मेंद्र कश्यप को उतारा है, वहीं सपा ने नीरज मौर्य को मैदान में उतारा है. बसपा की ओर से आबिद अली चुनावी मैदान में हैं.
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