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BJP 350 पार, कांग्रेस को सिर्फ 44 सीटें, कौन है वह अर्थशास्त्री जिसकी भविष्यवाणी पर मचा बवाल?

उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष ने मोदी की आधी लोकप्रियता का भी कोई नेता खड़ा किया होता तो यह चुनाव रोमांचक हो सकता था.

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Narendra Modi
Courtesy: Social Media

इस बार के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की भारी बहुमत के साथ सरकार बनने जा रही है. भाजपा इस बार अपने दम पर 350 से ज्यादा सीटें जीत सकती है....देश के शीर्ष अर्थशास्त्री और चुनाव विश्लेषक सुरजीत भल्ला ने हाल ही में एक इंटरव्यू में यह दावा किया है. उन्होंने कहा कि 2019 के मुकाबले इस बार भाजपा की सीटों में 5 से 7 फीसदी की बढ़ोत्तरी हो सकती है.

'भाजपा को अपने दम पर मिलेगीं 300 से 350 सीटें'
भल्ला ने कहा, 'इस बार भाजपा को अपने दम पर 300 से 350 सीटें मिलनी चाहिए. भाजपा इस बार अपने दम पर ये सीटें लाएगी, इसमें उनके सहयोगियों की सीटें शामिल नहीं है. यह एक लहर वाला चुनाव हो सकता है. हर चुनाव में एक लहर की संभावना होती है लेकिन यह एक लहर वाला चुनाव भी नहीं हो सकता.'

2014 से भी कम संख्या पर सिमट जाएगी कांग्रेस
उन्होंने उम्मीद जताई  कि बीजेपी इस बार और मजबूती से सत्ता में आएगी. वहीं कांग्रेस को लेकर उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी को इस बार 2014 से भी कम सीटें मिलेंगी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को इस बार 44 सीटें मिल सकती हैं जो कि 2014 में उन्हें मिली सीटों से 2 प्रतिशत कम होगा.

इंडिया ब्लॉक की मुख्य समस्या क्या है
अर्थशास्त्री और चुनावी विश्लेषक भल्ला ने बताया कि इंडिया ब्लॉक की परेशानी उसका नेतृत्व है. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था और नेतृत्व दोनों ही इस चुनाव में बीजेपी की तरफ हैं. उन्होंने कहा कि यह चुनाव एक रोमांचक चुनाव हो सकता था अगर विपक्ष एक ऐसे नेता को आगे रखता जो मोदी की आधी लोकप्रियता भी रखता हो.

तमिलनाडु में 5 केरल में दो सीटें
उन्होंने कहा कि बाजपा को इस बार तमिलनाडु में 5 और केरल में एक और दो सीटें मिल सकती हैं. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की योजनाओं के कारण दक्षिण भारत में सड़कें बनी हैं, अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है और लोगों के जीवन स्थर में भी सुधार हुआ है.

विकास के मुद्दे पर वोट करता है भारत
भल्ला ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन का हवाला देते हुए कहा, 'भारत इस आधार पर वोट करता है कि लोगों के जीवन में कितना सुधार हुआ है. यह मूल आधार है. जाति, लिंग और विभिन्न कारक बाद में आते हैं. विकास का मुद्दा सर्वोपरि होता है.

भारत की अब केवल एक चौथाई आबादी गरीब
उन्होंने कहा कि भारत की प्रति व्यक्ति खपत में सुधार हुआ है और भारत के लोगों का जीवन स्तर भी सुधरा है. उन्होंने कहा कि अभी भी भारत की एक चौथाई आबादी कुछ मामलों में गरीब है. गरीबी अप सापेक्ष है पूर्ण नहीं.

उन्होंने कहा कि गरबी और अमीर दोनों हमेशा हमारे साथ रहेंगे, यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम गरीबी की व्याख्या कैसे करते हैं. हम प्रति व्यक्ति प्रति दिन 1.9 डॉलर की विश्व बैंक की परिभाषा का उपयोग करते हैं. हम कह रहे हैं कि इसे दोगुना किया जाना चाहिए ताकि जीवन और अर्थव्यवस्था में सुधार हो.

कौन हैं सुरजीत भल्ला
सुरजीत भल्ला देश के जाने माने आर्थशास्त्री और चुनाव विश्लेषक हैं. वह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पूर्व कार्यकारी निदेशक और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के पूर्व सदस्य रहे हैं. उन्होंने How We Vote नाम से एक किताब भी लिखी है.