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डामाडोल, तीसरी से छठी क्लास के बच्चें 10 तक का भी पहाड़ा नहीं जानते! शिक्षा मंत्रालय के सर्वे ने बढ़ाई चिंता 

सर्वे से यह भी सामने आया कि सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के छात्र खासकर गणित में सबसे पीछे रहे. जबकि केंद्र सरकार के स्कूलों ने नौवीं क्लास में बेहतरीन प्रदर्शन किया. निजी स्कूलों के बच्चों ने भाषा और सामाजिक विज्ञान में अच्छा स्कोर किया, लेकिन गणित वहां भी सबसे कमजोर विषय बना रहा.

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Edited By: Reepu Kumari
Children from class 3rd to 6th don't even know the tables up to 10!
Courtesy: Pinterest

शिक्षा मंत्रालय के ताजा सर्वे ने बच्चों की पढ़ाई को लेकर बड़ी चिंता जताई है. रिपोर्ट के मुताबिक, देश के करीब 47% बच्चों को 10 तक का पहाड़ा तक नहीं आता. यही नहीं, तीसरी क्लास के केवल 55% बच्चे ही 99 तक की संख्या को सही क्रम में लगा पाते हैं. यह आंकड़ा इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योंकि यह सर्वे देश के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के करीब 74,000 स्कूलों में किया गया.

इस सर्वे में तीसरी, छठी और नौवीं क्लास के 21 लाख से ज्यादा छात्रों को शामिल किया गया. रिपोर्ट साफ बताती है कि बुनियादी शिक्षा यानी जोड़, घटाव, पहाड़ा जैसी चीजें ही बच्चों को सही से नहीं आतीं. ऐसे में आगे की पढ़ाई कैसे मजबूत होगी, यह बड़ा सवाल बन गया है.

गणित बना सबसे बड़ा डर

छठी क्लास के बच्चों की हालत और भी खराब है. रिपोर्ट के अनुसार, केवल 53% छात्र ही बेसिक मैथ्स जैसे जोड़, घटाव, गुणा, भाग को ठीक से समझ पा रहे हैं. जब इनसे रोजमर्रा की समस्याएं सुलझाने को कहा गया तो भी आधे से ज्यादा बच्चे सही जवाब नहीं दे पाए. यही नहीं, 'The World Around Us' जैसे विषय में भी छात्रों का प्रदर्शन कमजोर रहा.

सरकारी स्कूलों में सबसे कमजोर प्रदर्शन

सर्वे से यह भी सामने आया कि सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के छात्र खासकर गणित में सबसे पीछे रहे. जबकि केंद्र सरकार के स्कूलों ने नौवीं क्लास में बेहतरीन प्रदर्शन किया. निजी स्कूलों के बच्चों ने भाषा और सामाजिक विज्ञान में अच्छा स्कोर किया, लेकिन गणित वहां भी सबसे कमजोर विषय बना रहा.

अब सिर्फ रिपोर्ट नहीं, होगी सख्त कार्रवाई

शिक्षा सचिव संजय कुमार का कहना है कि अब केवल सर्वे करने से कुछ नहीं होगा, बल्कि ज़मीन पर काम करने की जरूरत है. इसके लिए जिला और राज्य स्तर पर विशेष वर्कशॉप्स होंगी, जिसमें हर ज़िले की अलग योजना बनाई जाएगी.

हर तीन साल में होता है ये सर्वे

इस सर्वे का नाम पहले राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (NAS) था, जिसे अब 'परख' कहा जाता है. यह हर तीन साल में होता है और इसका मकसद बच्चों की पढ़ाई का स्तर जांचना है. 2024 का सर्वे बताता है कि कुछ राज्यों ने पिछली बार से बेहतर प्रदर्शन किया है, जैसे पंजाब, हिमाचल, केरल और यूपी.