BSE-Sensex: बीएसई सेंसेक्स पिछले 12 महीनों में लगभग स्थिर रहा है और निवेशकों को संतोषजनक रिटर्न नहीं दे पाया. आईटी और जीएसटी में राहत के बावजूद बाजार में सुस्ती बनी रही. विशेषज्ञों का कहना है कि कमजोर मुनाफा और विदेशी निवेशकों की निकासी ने प्रदर्शन को प्रभावित किया है. हालांकि, घरेलू निवेशकों की सक्रियता ने बाजार को पूरी तरह दबने से बचाया.
पिछले साल कंपनियों की कमाई उम्मीद से कम रही. कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी ने भी कंपनियों पर दबाव डाला. वहीं, विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से लगभग 20 अरब डॉलर की निकासी की. इसके बावजूद घरेलू संस्थागत निवेशकों ने लगभग 62 अरब डॉलर का निवेश किया. कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की रिपोर्ट के अनुसार, कमजोर बुनियादी बातें और विदेशी निवेशकों की सतर्कता ने बाजार में सुस्ती पैदा की. मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स भी पिछले साल में 4% से अधिक घटे.
अक्सर कंपनियों के दाम स्थिर रहने या गिरने के बावजूद वैल्यूएशन ऊंचा बने रहते हैं. एचडीएफसी सिक्योरिटीज के देवर्ष वकील के अनुसार, निफ्टी 50 की कंपनियों की कमाई केवल 8% बढ़ी, जो अपेक्षा से कम है. शहरी मांग में देरी और कच्चे माल की लागत बढ़ने से भी कंपनियों का प्रदर्शन प्रभावित हुआ. कोरोना के बाद मांग में तेजी आई थी, जिससे वैल्यूएशन में बढ़ोतरी हुई. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह लंबे समय के निवेशकों के लिए अवसर है.
अमेरिका के साथ व्यापार तनाव और वैश्विक नीतिगत अनिश्चितता ने विदेशी निवेशकों को सतर्क कर दिया. वे अब सस्ते उभरते बाजारों की ओर रुख कर रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर म्यूचुअल फंड निवेश नहीं होता, तो एफपीआई की बिकवाली का असर और गंभीर होता. म्यूचुअल फंड और एसआईपी निवेश ने बाजार को स्थिर रखा.
विशेषज्ञों का मानना है कि विदेशी निवेशकों की वापसी और कंपनियों की कमाई में सुधार से बाजार में तेजी आएगी. सरकार और निजी क्षेत्र की पूंजीगत व्यय की घोषणाएं खपत बढ़ाएंगी और कमाई में सुधार आएगा. आने वाले तिमाहियों में धीरे-धीरे बाजार में सुधार की उम्मीद है. वित्त वर्ष 2026-27 में अच्छी कमाई की संभावना है, लेकिन वैल्यूएशन अभी भी महंगा बना हुआ है.