Carrier Sues India: इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट (ई-वेस्ट) को लेकर मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए नए नियमों पर अब ग्लोबल कंपनियों का गुस्सा फूट पड़ा है. अमेरिका की एयर कंडीशनिंग कंपनी कैरियर (Carrier) की भारतीय इकाई ने केंद्र सरकार पर मुकदमा दायर किया है. कंपनी ने आरोप लगाया है कि नए नियमों के तहत रीसाइक्लिंग शुल्क में भारी बढ़ोतरी की गई है, जिससे निर्माता कंपनियों पर अनुचित बोझ पड़ रहा है.
सिर्फ कैरियर ही नहीं, दक्षिण कोरिया की सैमसंग (Samsung) और एलजी (LG), जापान की डाईकिन (Daikin), और टाटा समूह की वोल्टास (Voltas) ने भी इस मुद्दे को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया है. ये सभी कंपनियां चाहती हैं कि इन नियमों को रद्द किया जाए. कोर्ट में इन याचिकाओं पर सुनवाई मंगलवार को होनी है.
भारत सरकार ने पिछले साल सितंबर में एक न्यूनतम मूल्य तय किया था, जो कंपनियों को ई-वेस्ट रीसाइक्लर्स को भुगतान करना होगा. सरकार का तर्क है कि देश में केवल 43% इलेक्ट्रॉनिक कचरा ही रीसाइक्लिंग के लिए भेजा जा रहा है, जबकि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ई-वेस्ट उत्पादक है. सरकार की कोशिश इसे सुधारने की है. हालांकि, कंपनियों का कहना है कि सरकार द्वारा तय किया गया यह मूल्य पहले की तुलना में तीन से चार गुना अधिक है और यह व्यवसायिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप है.
कैरियर एयरकंडीशनिंग एंड रेफ्रिजरेशन ने 3 जून को दाखिल अपनी 380 पेज की याचिका में कहा, 'रीसाइक्लर्स पुराने दामों पर ही काम करने को तैयार हैं, फिर सरकार को कंपनियों और रीसाइक्लर्स के आपसी समझौते में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.' कंपनी ने इसे 'अनुचित और मनमाना' फैसला बताया. कंपनियों की मांग है कि नए नियमों को तुरंत प्रभाव से रद्द किया जाए और शुल्क को पूर्व स्तर पर लाया जाए. उनका मानना है कि इस निर्णय से घरेलू उत्पादन और आयात पर नकारात्मक असर पड़ेगा.