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Patna News: बिहार में 'डॉग बाबू' के चक्कर में नप गए कई 'बाबू', राजनितिक बवाल के बाद रद्द हुआ सर्टिफिकेट

पटना के मसौढ़ी प्रखंड में 'डॉग बाबू' के नाम से जारी निवास प्रमाण पत्र के मामले ने जिला प्रशासन को सख्त कार्रवाई के लिए मजबूर कर दिया है.

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Edited By: Garima Singh
Patna News
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Patna News: पटना के मसौढ़ी प्रखंड में 'डॉग बाबू' के नाम से जारी निवास प्रमाण पत्र के मामले ने जिला प्रशासन को सख्त कार्रवाई के लिए मजबूर कर दिया है. जिला मजिस्ट्रेट डॉ. त्यागराजन एसएम के कड़े निर्देशों के बाद इस प्रमाण पत्र को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया है. इसके साथ ही इस मामले में शामिल आवेदक, कंप्यूटर ऑपरेटर और राजस्व अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है. यह घटना न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि सरकारी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को भी रेखांकित करती है.

'डॉग बाबू' के निवास प्रमाण पत्र का मामला सामने आते ही पटना प्रशासन में हड़कंप मच गया. मसौढ़ी अंचल में इस फर्जी प्रमाण पत्र को तुरंत रद्द करने का आदेश दिया गया और मामले की गहन जांच शुरू की गई. जांच का उद्देश्य यह स्पष्ट करना है कि आखिर इतनी बड़ी चूक किसकी लापरवाही से हुई. प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से उस आईटी सहायक को सेवामुक्त कर दिया, जिसने बिना दस्तावेजों की गहन जांच किए आवेदन को स्वीकृति के लिए आगे बढ़ाया. मसौढ़ी के अंचल अधिकारी प्रभात रंजन ने पुष्टि की कि दोषी कर्मियों के खिलाफ साइबर धोखाधड़ी और सरकारी दस्तावेजों से छेड़छाड़ के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई है.

फर्जी दस्तावेजों का खेल, दिल्ली की महिला का दुरुपयोग

जांच में खुलासा हुआ कि 24 जुलाई 2025 को मसौढ़ी के आरटीपीएस (लोक सेवा का अधिकार) काउंटर से जारी इस प्रमाण पत्र (संख्या BRCCO/2025/15933581) पर राजस्व कर्मचारी मुरारी चौहान के डिजिटल हस्ताक्षर थे. प्रारंभिक जांच से पता चला कि यह प्रमाण पत्र दिल्ली की एक महिला के दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करके तैयार किया गया था. मसौढ़ी अनुमंडल पदाधिकारी की जांच रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने आवेदक के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है, जिसने नियमों के विरुद्ध शपथ-पत्र देकर और किसी अन्य व्यक्ति के पहचान पत्र का दुरुपयोग कर फर्जी साक्ष्य प्रस्तुत किए.

पप्पू यादव के ट्वीट से मचा बवाल

यह मामला तब और सुर्खियों में आया जब पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर तंज कसते हुए लिखा, "कुत्ता निवास प्रमाण पत्र दिखा रहा है, कोई इंसान प्रमाण पत्र नहीं दे पाया... ये है मेरा भारत महान. मुख्य चुनाव आयुक्त महोदय, गांजा पीकर कहां सो रहे हैं?" उनके इस बयान ने बिहार में चल रहे विशेष मतदाता पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए. इस ट्वीट ने न केवल प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया, बल्कि आम जनता के बीच भी इस मामले को लेकर गहरी चर्चा छेड़ दी.