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India Daily

भारत में महंगी हो जाएंगी दवाइयां, डोनाल्ड ट्रंप ने फॉर्मा कंपनियों को दिया बड़ा आदेश

अमेरिका में दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले एक ही कंपनी की दवा 5 से 10 गुना अधिक कीमत पर मिलती है. इसका सीधा असर भारत पर पड़ेगा.

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Edited By: Gyanendra Tiwari
Donald Trump new pharma order could increase pressure on India to hike drug prices
Courtesy: Social Media

भारत में आने वाले समय में दवाइयां महंगा हो सकती है.  इसका कारण होंगे डोनाल्ड ट्रंप, जिसकी वजह से ग्लोबल फॉर्मा कंपनियां भारतीय कंपनियों को दवाई महंगी करने का प्रेशर बना सकती है. डोनाल्ड ट्रंप ने एक ऐसा आदेश दिया है जो अमेरिकी दवा कंपनियों को अमेरिका में सस्ती दवा बेचने पर मजबूर कर सकता है. ट्रंप के अनुसार विदेशी देशों में जितने रुपये की दवा मिलती है उतने रुपये की दवा अमेरिका में भी मिलेगी. ट्रंप ने कहा कि वह मोस्ट फेवर्ड नेशन पॉलिसी को पेश करेंगे, जिसके तहत अमेरिका उन देशों की समान कीमत पर दवा देंगे जिन देशों में दवाएं सबसे कम कीमत पर उबलब्ध होती हैं. 

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, "प्रिस्क्रिप्शन दवाइयों और फार्मास्यूटिकल्स की कीमतों में लगभग तुरंत ही 30 प्रतिशत से 80 प्रतिशत तक की कमी की जाएगी. दुनिया भर में कीमतें बढ़ेंगी ताकि समानता लाई जा सके और कई सालों में पहली बार अमेरिका में निष्पक्षता लाई जा सके. मैं एक मोस्ट फेवर्ड नेशन की नीति लागू करूंगा, जिसके तहत अमेरिका दुनिया में सबसे कम कीमत चुकाने वाले देश के बराबर कीमत चुकाएगा."

उन्होंने आगे कहा कि बहुत सालों से दुनिया को इस बात पर आर्श्चय हो रहा है कि आखिर अमेरिका में प्रिस्क्रिप्शन दवाइयों और फार्मास्यूटिकल्स की कीमतें इतनी ज्यादा क्यों है. अमेरिका में दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले एक ही कंपनी की दवा 5 से 10 गुना अधिक कीमत पर मिलती है. 

अंतरराष्ट्रीय व्यापर जगत के एक्सपर्ट्स का कहना है कि ट्रंप का आदेश तत्काल प्रभाव से अमेरिकियों को राहत देगा. लेकिन ट्रंपक का यह आदेश वैश्विक स्तर पर उन देशों पर प्रभाव डालेगा जहां दवाइयां सस्ती बिक रही हैं. क्योंकि फॉर्मास्यूटिकल कंपनियां उन देशों पर दवाएं महंगा करने के लिए प्रेशर डालेंगी जो सस्ती दरों पर दवाइयां बेच रहे हैं. इसका सीधा असर भारत पर पड़ेगा. क्योंकि भारत में अमेरिका के मुकाबले दवाएं बहुत ही सस्ती हैं. 

भारत एक जेनरिक दवाओं की इंडस्ट्री है. यह सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि कम लागत में बनने वाली दवाओं के लिए लंबे समय से विकसित देशों की बड़ी फार्मा कंपनियों के लिए विवाद का विषय रहा है. यह कंपनियां दावा करती हैं कि भारत में कमजोर बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights) उन्हें प्रतिस्पर्धा ही नहीं करने देती. ट्रंप के आदेश ने भारतीय दवाओं के लिए मश्किल खड़ी कर दी है.