नई दिल्ली: साल के आखिरी महीने दिसंबर में कार बाजार में हलचल तेज हो जाती है. कई लोग इसी समय नई कार खरीदने का प्लान बनाते हैं, क्योंकि कंपनियां आकर्षक ऑफर्स के साथ ग्राहकों को लुभाती हैं. हालांकि, इस फैसले को लेकर असमंजस भी रहता है. एक तरफ सस्ती कीमत और बेहतर डील का मौका होता है.
इसके अलावा दूसरी तरफ अगले साल कार के पुराने मॉडल के रूप में गिने जाने की चिंता रहती है. ऐसे में सही फैसला सोच-समझकर लेना जरूरी हो जाता है.
दिसंबर में कार खरीदने का सबसे बड़ा फायदा बंपर डिस्काउंट होता है. डीलर पुराने मॉडल ईयर का स्टॉक खत्म करने के लिए भारी छूट देते हैं. कैश डिस्काउंट, एक्सचेंज बोनस, कॉर्पोरेट ऑफर्स और फ्री एक्सेसरीज जैसी सुविधाएं मिलती हैं. कई मामलों में यह छूट एक लाख रुपये से भी ज्यादा हो सकती है. बिक्री लक्ष्य पूरा करने के लिए डीलर भी ग्राहकों को बेहतर डील देने के लिए तैयार रहते हैं.
दिसंबर में कार कंपनियां कम ब्याज दर वाली फाइनेंस स्कीम भी पेश करती हैं, जिससे ईएमआई कम हो जाती है. इसका सीधा फायदा खरीदार की जेब पर पड़ता है. इसके अलावा, डीलर्स के पास आमतौर पर तैयार स्टॉक होता है, जिसे क्लियर करने की कोशिश की जाती है. इसी वजह से दिसंबर में कार खरीदने पर वेटिंग पीरियड बहुत कम या बिल्कुल नहीं होता और कई बार तुरंत डिलीवरी भी मिल जाती है.
दिसंबर में खरीदी गई कार तकनीकी रूप से नई होती है, लेकिन मॉडल ईयर के हिसाब से कुछ महीनों पुरानी मानी जाती है. जनवरी आते ही कार पिछले साल की गिनती में चली जाती है. इससे मानसिक रूप से यह महसूस होता है कि कार जल्दी ही पुरानी हो गई. इसके साथ ही रजिस्ट्रेशन भी उसी पुराने मॉडल ईयर का माना जाता है.
दिसंबर में कार खरीदने का सबसे बड़ा नुकसान उसकी रीसेल वैल्यू होती है. भविष्य में जब आप कार बेचने जाएंगे, तो उसे पुराने मॉडल ईयर की गाड़ी माना जाएगा. इससे कार की कीमत कम मिलती है. खरीदार भी नए मॉडल ईयर की कार को ज्यादा प्राथमिकता देते हैं. ऐसे में दिसंबर में खरीदी गई कार पर आगे चलकर आर्थिक नुकसान हो सकता है.
अगर आप लंबे समय तक कार रखने का इरादा रखते हैं, तो दिसंबर में खरीदना फायदेमंद साबित हो सकता है. लेकिन अगर आप भविष्य में बेहतर रीसेल वैल्यू चाहते हैं, तो नए साल तक इंतजार करना समझदारी हो सकती है. आखिरकार फैसला आपकी जरूरत, बजट और प्राथमिकता पर निर्भर करता है.