नई दिल्ली: आजकल की बाइक्स में नई टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रिक फीचर्स पर ज्यादा भरोसा किया जा रहा है. इसी बदलाव के चलते कई मोटरसाइकल से किक स्टार्ट का विकल्प धीरे-धीरे गायब हो गया है.
पहली नजर में यह बदलाव सुविधाजनक लगता है, लेकिन असल दिक्कत तब सामने आती है जब बाइक बैटरी या सेल्फ स्टार्ट सिस्टम साथ छोड़ देता है. तब किक की अहमियत समझ आती है.
ज्यादातर नई बाइक्स में किक स्टार्ट नहीं होने का मतलब है कि बैटरी खत्म होते ही बाइक स्टार्ट करने का कोई विकल्प नहीं बचता. लंबे समय तक बाइक खड़ी रहने, हेडलाइट खुली रह जाने या ठंडे मौसम में बैटरी कमजोर होने पर यह समस्या आम है. ऐसी स्थिति में बाइक रास्ते में ही खड़ी रह सकती है.
सेल्फ स्टार्ट सिस्टम में इलेक्ट्रिक मोटर, रिले और सोलनॉइड जैसे कई पार्ट्स शामिल होते हैं. इनमें से किसी एक के खराब होने पर बाइक स्टार्ट नहीं होती. किक स्टार्ट के मुकाबले इसका रिपेयर महंगा और तकनीकी होता है. आम राइडर के लिए इसे खुद ठीक करना आसान नहीं होता.
जब बैटरी डाउन हो जाती है और किक स्टार्ट भी नहीं होती, तो धक्का देकर बाइक स्टार्ट करना ही आखिरी रास्ता बचता है. 150 सीसी से ज्यादा की बाइक्स वजन में भारी होती हैं. ऐसे में अकेले बाइक को धक्का देकर स्टार्ट करना लगभग नामुमकिन हो जाता है.
ठंडे मौसम या लंबे समय तक खड़ी बाइक में इंजन ऑयल गाढ़ा हो जाता है. पहले किक से इंजन को धीरे घुमाकर ऑयल फैलाया जाता था. इलेक्ट्रिक स्टार्ट में यह संभव नहीं होता. किक न होने से कमजोर बैटरी पर ज्यादा दबाव पड़ता है और स्टार्ट में दिक्कत आती है.
कई मैकेनिक किक के दबाव से ही इंजन की स्थिति का अंदाजा लगा लेते हैं. किक स्टार्ट न होने से इंजन के अंदर की मैकेनिकल समस्या तुरंत पकड़ में नहीं आती. इससे छोटी खराबी भी बड़ी समस्या का रूप ले सकती है.
125 सीसी बाइक्स का सबसे बड़ा फायदा इनका संतुलित परफॉर्मेंस होता है. ये बाइक्स शहर के ट्रैफिक में चलाने में हल्की और कंट्रोल में रहती हैं. माइलेज के मामले में भी यह सेगमेंट बेहतर माना जाता है, जिससे रोजाना आने-जाने का खर्च कम होता है.
साथ ही इंजन ज्यादा पावरफुल न होने के कारण मेंटेनेंस अपेक्षाकृत कम रहता है. ऑफिस जाने वाले या रोजमर्रा की राइड के लिए 125 सीसी बाइक एक किफायती और व्यावहारिक विकल्प बनती है.
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