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Lathmar Holi 2024: यहां फूलों के बाद चलती हैं लाठियां, जानें क्यों खास है बरसाने की लट्ठमार होली?

Lathmar Holi 2024: भारत ही नहीं विदेशों में भी ब्रजमंडल की होली की चर्चाएं रहती हैं. यहां की होली होती ही इतनी खास है कि लोग दूर-दूर से यहां होली का आनंद लेने आते हैं. यहां की होली 1 या 2 नहीं कुल 40 दिनों तक चलती है. इस होली की शुरुआत फूल से होती है और लाठियों से होते हुए रंग पर जाकर समाप्त होती है. आइए जानते हैं कि आखिर क्यों ब्रजमंडल में लट्ठमार होली खेली जाती है. 

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Edited By: India Daily Live
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Courtesy: pexels

Lathmar Holi 2024: बरसाना, मथुरा और वृदांवन में भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी बसते हैं. यहां की हर बात ही निराली है. इसी कारण यहां की होली भी काफी चर्चित है. यहां जैसी होली पूरे देश में कहीं नहीं खेली जाती है. यहां पर होली की शुरुआत 40 दिन पहले ही हो जाती है. यहां की होली की शुरुआत फूलों से होती है और यह लाठियों पर होते हुए रंग पर जाकर खत्म होती है. इसके साथ ही यहां पर लड्डूओं की भी होली खेली जाती है.

पूरे ब्रजमंडल की होली वर्ल्ड फेमस है. लोग देश-विदेश से सिर्फ यहां पर होली खेलने आते हैं. यहां पर होली का पर्व बेहद उत्साह से मनाया जाता है. यहां पर होली के त्योहार से 40 दिन पहले ही होली खेलने की शुरुआत हो जाती है. यहां की होली सबसे पहले फूलों से खेली जाती है. इसके बाद यहां पर लट्ठमार होली होती है. सबसे आखिरी में यहां पर रंगों से होली खेली जाती है. यहां की लट्ठमार सबसे ज्यादा प्रसिद्ध होती है. 

साल 2024 में कब है लट्ठमार होली?

हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को लट्ठमार होली खेली जाती है. साल 2024 में फाल्गुन माह की नवमी तिथि  18 मार्च को है इस कारण इस दिन लट्ठमार होली खेली जाएगी. इस दिन बरसाने की गोपियां (महिलाएं) नंदगांव से आए पुरुषों पर लाठियां बरसाती हैं. वहीं, पुरुष ढाल का इस्तेमाल करके खुद को लाठियों से बचाते हैं. इसके बाद 19 मार्च को नंद गांव में लट्ठमार होली खेली जाएगी. इस दौरान गोपियां मजाकिया अंदाज में हुरियारों (पुरुषों) को लाठी से पीटती हैं. होली पर यहां गीत भी गाए जाते हैं. इस होली को देखने के लिए देश ही नहीं विदेश से भी लोग आते हैं. 

क्यों खेली जाती है लट्ठमार होली?

मान्यता है कि इस होली की शुरुआत 5000 साल पहले हुई थी. पौराणिक कथाओं की मानें तो एक बार भगवान श्रीकृष्ण, राधा रानी से मिलने बरसाने गए थे. वहां पर वे राधा रानी की सखियों को चिढ़ाने लगे. ऐसे में में उनकी सखियों ने श्रीकृष्ण और ग्वालों को सबक सिखाने के लिए उनको लाठियों से पीटने लगीं. मान्यता है कि उस दिन से ही बरसाने और नंदगांव में लट्ठमार होली की शुरुआत हुई. 

Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.  theindiadaily.com  इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.