Ganesh Visarjan 2023 : 19 अगस्त 2023 को गणेश चतुर्थी के साथ बप्पा का आगमन हो चुका है. लोगों ने धूमधाम से अपने घरों में भगवान गणेश की प्रतिमा को स्थापित भी किया है. वहीं, कई सार्वजनिक जगहों पर आयोजित हो रहे गणेश महोत्सव के पूजा पंडालों में भी गणपति प्रतिमा की स्थापना की जाती है. इसके 10 दिन बाद अनंत चतुर्दशी को गणपति प्रतिमा का विसर्जन करने का रिवाज है. इस दौरान लोग धूमधाम से ढोल-नगांड़ों के साथ अबीर-गुलाल उड़ाते हुए बप्पा को विदाई देते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर स्थापना के बाद बप्पा की प्रतिमा का विसर्जन क्यों किया जाता है. अगर नहीं तो हम आपको बताएंगे इसके पीछे की पौराणिक कथा क्या है.
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है. धर्म ग्रंथों के अनुसार, महर्षि वेद व्यास ने महाभारत की रचना की है, लेकिन इतने बड़े ग्रंथ को लिखना कोई आसान काम नहीं था. इस कारण उन्होंने भगवान गणेश की आराधना की और उनसे महाभारत लिखने की प्रार्थना की. भगवान गणपति ने भी महाभारत लिखने के लिए हां कर दी. अब दिन-रात इस ग्रंथ को लिखने का कार्य आरंभ हो गया. दिन-रात लगातार लिखने के कारण प्रभु गणेश जी को थकान होने लगी, लेकिन इस दौरान उनके लिए पानी पीना भी वर्जित था. अतः गणपति जी के शरीर का तापमान न बढ़ें, इस कारण वेदव्यास जी ने उनके शरीर पर मिट्टी का लेप किया और भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश का पूजन किया. यह लेखन कार्य 10 दिनों तक चला और अनंत चतुर्दशी को पूरा हुआ.
गणेश जी के शरीर पर वेदव्यास जी ने मिट्टी का लेप कर दिया था. इस लेप के सूखने पर गणेश जी के शरीर में अकड़न आ गई थी. इसी कारण गणेश जी का नाम पार्थिव गणेश पड़ा था.
महाभारत ग्रंथ का लेखन कार्य 10 दिनों तक चला था. यह कार्य अनंत चतुर्दशी के दिन समाप्त हुआ था, लेकिन इस दौरान वेदव्यास जी ने देखा कि गणपति जी के शरीर का तापमान काफी बढ़ गया है और उनके शरीर पर लगा मिट्टी का लेप भी सूखकर झड़ने लगा है. इस कारण वेद व्यास जी ने उनको पानी में बैठा दिया, बस इस दिन से ही गणेश प्रतिमा विसर्जन की शुरुआत हुई.
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महाभारत ग्रंथ को लिखने में 10 दिन का समय लगा. इस दौरान वेदव्यास जी ने प्रभु गणेश के लिए कई स्वादिष्ट व्यंजनों को परोसा था. उस दिन से ही गणेश चतुर्थी के बाद 10 दिनों तक बप्पा को अलग-अलग प्रकार के व्यंजन अर्पित किए जाते हैं.
कलियुग में भी लोग गणेश जी की मिट्टी की प्रतिमा को गणेश चतुर्थी के दिन स्थापित करते हैं 10 दिनों तक उनकी सेवा करते हैं और अनंत चतुर्दशी के दिन प्रतिमा विसर्जन करते हैं.
वहीं, कुछ लोग डेढ, तीन, पांच, सात और 11 वें दिन भी गणपित प्रतिमा का विसर्जन करते हैं.
गणेश चतुर्थी 19 सितंबर को थी. जो लोग डेढ़ दिन में प्रतिमा का विसर्जन करना चाहते हैं, वे आज के दिन ऐसा कर सकते हैं.
प्रातःकाल का मुहूर्त (शुभ)- सुबह 11 बजकर 42 मिनट से सुबह 11 बजकर 42 मिनट तक
दोपहर का मुहूर्त (चर,लाभ)- दोपहर 02 बजकर 45 मिनट से शाम 05 बजकर 48 मिनट तक
शाम का मुहूर्त (शुभ, अमृता, चर)- शाम 07 बजकर 16 मिनट से रात 11 बजकर 42 मिनट तक
प्रातः कालीन मुहूर्त (लाभ)- रात 02 बजकर 40 मिनट से 21 सितंबर को सुबह 04 बजकर 08 मिनट तक
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