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Ahoi Ashtami Vrat 2023 : अहोई अष्टमी पर बनने जा रहे हैं ये शुभ योग, इस मुहूर्त में पूजन करने से होगा लाभ ही लाभ

Ahoi Ashtami Vrat 2023: साल 2023 में अहोई अष्टमी पर खास संयोग बनने जा रहा है. इस दिन शुभ मुहूर्त में पूजन करने से बेहद ही लाभ होने वाला है.

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Edited By: Mohit Tiwari
Ahoi Ashtami Vrat 2023 : अहोई अष्टमी पर बनने जा रहे हैं ये शुभ योग, इस मुहूर्त में पूजन करने से होगा लाभ ही लाभ

Ahoi Ashtami Vrat 2023:  हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का पर्व मनाया जाता है. इसको अहोई आठे के नाम से भी जाना जाता है. माताएं इस व्रत को अपनी संतान की लंबी उम्र की कामना से रखती हैं. इस व्रत की विधि करवा चौथ जैसी ही होती है. इस दिन चांद को अर्घ्य न देकर तारों को अर्घ्य दिया जाता है. महिलाएं पूरे दिन अपने संतान की लंबी उम्र की कामना से व्रत रखती हैं और रात को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करती हैं. साल 2023 में अहोई अष्टमी के दिन दो शुभ योग बन रहे हैं.

साल 2023 में कब है अहोई अष्टमी?

साल 2023 में कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 05 नवंबर 2023 दिन रविवार को पड़ रही है. इस दिन महिलाएं अपनी संतान के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रखेंगी. इस दिन अष्टमी तिथि की शुरुआत 04 नवंबर 2023 की रात 12:59 से हो रही है और यह 05 सितंबर की रात 03:18 बजे तक रहने वाली है. इस कारण इस व्रत को 05 नवंबर को रखा जाएगा.

इस दिन बन रहे हैं ये शुभ योग

अहोई अष्टमी के दिन व्रत, तारों को अर्घ्य देकर खोला जाता है. इस दिन यह समय शाम 05 बजकर 58 मिनट से शुरू होगा. साल 2023 में अहोई अष्टमी पर दो शुभ योग बन रहे हैं. इनमें से पहला रवि पुष्य योग और सर्वार्थ सिद्धि योग है. मान्यता है कि इन योगों में किसी भी काम को करना काफी शुभ होता है. इस योग में व्रत करने से व्रती को जीवन के हर क्षेत्र में अपार लाभ होता है.

अहोई अष्टमी का पूजन कैसे करें?

हिंदू धर्म में अहोई अष्टमी के व्रत को काफी महत्वपूर्ण बताया गया है. इस व्रत को करने से संतान की उम्र लंबी होती है. इसके साथ ही इस दिन माता पार्वती, महादेव और पूरे शिव परिवार को पूजन करना चाहिए. इस दिन व्रत की कथा को सुनते हुए हाथों में सात अलग-अलग प्रकार के अनाज रखने चाहिए. इसके साथ ही इनका भगवान को भोग भी लगाना चाहिए और पूजा करने व अर्घ्य देने के बाद बच्चों को खिलाना चाहिए.

यह है पूजन विधि

इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नान कर लें. इसके बाद साफ वस्त्र धारण करके दीवार को साफ करें और गाय के गोबर, आलता या फिर मिट्टी और सिंदूर से अहोई माता का चित्र बनाएं. इसके अलावा आप बाजार से भी माता की बनी हुई तस्वीर ला सकते हैं. इसके बाद फूल, माला, सिंदूर, हलवे का भोग, पूरी, मिठाई आदि अर्पित करें. इसके साथ ही घी का दीपक और धूप जलाएं. इसके बाद अहोई माता की व्रत कथा के साथ मंत्रों का जाप करें. शाम को तारे और चंद्रमा देखने के साथ ही जल से अर्घ्य दें और अपना व्रत खोलें. 

Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.  theindiadaily.com  इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.