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Vat Savitri Vrat 2025: वट सावित्री व्रत के दिन पढ़ें ये खास कथा, सुखमय जीवन के साथ पति की लंबी होगी उम्र

वट सावित्री व्रत भारतीय हिंदू परंपरा का एक अहम हिस्सा है, जिसे हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को सुहागिन महिलाएं अपने पति और परिवार की सुख-शांति के लिए करती हैं. इस दिन वट सावित्री की व्रत कथा पढ़ने का बहुत बड़ा महत्व होता है.

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Edited By: Princy Sharma
Vat Savitri Vrat 2025
Courtesy: Pinterest

Vat Savitri Vrat 2025: वट सावित्री व्रत भारतीय हिंदू परंपरा का एक अहम हिस्सा है, जिसे हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को सुहागिन महिलाएं अपने पति और परिवार की सुख-शांति के लिए करती हैं. इस दिन, महिलाएं खास रूप से बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं, जो व्रत का प्रमुख हिस्सा है. कहा जाता है कि इस व्रत से न केवल पति की उम्र लंबी होती है, बल्कि परिवार में सुख-समृद्धि का भी वास होता है.

वट सावित्री व्रत की कथा भी बहुत ही दिलचस्प और प्रेरणादायक है. यह कथा सावित्री और सत्यवान की प्रेम कहानी से जुड़ी हुई है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, सावित्री मद्रदेश के राजा अश्वपति की बेटी थी. जब वह विवाह योग्य हुई, तो उसने द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान को अपने जीवन साथी के रूप में चुना. हालांकि, नारद जी ने राजा अश्वपति को यह चेतावनी दी थी कि सत्यवान का जीवन बहुत संक्षिप्त है और उसकी मृत्यु अगले साल हो जाएगी. इसके बावजूद, सावित्री ने सत्यवान से विवाह करने का निर्णय लिया.

मृत्यु का दिन

विवाह के बाद, सावित्री अपने पति सत्यवान की सेवा में पूरी निष्ठा से लगी रही. एक दिन जब सत्यवान जंगल में लकड़ी काटने गया, तो उसकी मृत्यु का दिन आ गया. जैसे ही सत्यवान का शरीर गिरा, यमराज ने उसके प्राणों को अपनी पाश में बांध लिया और दक्षिण दिशा की ओर चल पड़े.

'जहां तक मेरे पति...'

जब यमराज सत्यवान के साथ चल रहे थे, तो सावित्री ने उनसे कहा, 'जहां तक मेरे पति जाएंगे, वहां तक मुझे भी जाना चाहिए.' यमराज ने उसे कई बार लौट जाने को कहा, लेकिन सावित्री अपनी पत्नी धर्म पर अडिग रही और यमराज से वर मांगने लगी. पहले उसने अपने सास-ससुर के लिए नेत्र ज्योति की मांग की, फिर अपने ससुर के खोए हुए राज्य की पुनः प्राप्ति के लिए प्रार्थना की.

सत्यवान को जीवनदान दिया 

अंत में, जब यमराज ने उसे और वरदान मांगने को कहा, तो सावित्री ने कहा, 'मैं सत्यवान के पुत्रों की मां बनना चाहती हूं.' सावित्री की अडिग भक्ति और निष्ठा को देखकर यमराज इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने सत्यवान को जीवनदान दे दिया और उन्हें पाश से मुक्त कर दिया।.

वट सावित्री व्रत का महत्व

इस व्रत के जरिए महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करती हैं. वट वृक्ष के नीचे पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और परिवार में कोई भी संकट नहीं आता. इस दिन महिलाएं सावित्री की तरह अपने पति के प्रति अपनी निष्ठा और भक्ति को मजबूत करती हैं.