Krishna Janmashtami 2025: कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हर साल पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान विष्णु के आठवें अवतार, श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में यह पर्व मनाया जाता है. इस दिन भक्त पूरे विधि-विधान से व्रत रखते हैं, रात्रि में कृष्ण जन्म का उत्सव मनाते हैं और लड्डू गोपाल का विशेष शृंगार करते हैं. घर-घर में झूले सजाए जाते हैं और बाल गोपाल को उसमें विराजमान कर पूजा की जाती है.
वास्तु शास्त्र में झूले की दिशा, रंग, सामग्री और सजावट के तरीके को लेकर विशेष नियम बताए गए हैं. माना जाता है कि सही दिशा और तरीके से झूला सजाने से घर में सुख-समृद्धि आती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. गलत दिशा या सामग्री का चुनाव करने से पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता. ऐसे में जन्माष्टमी की तैयारी करते समय इन वास्तु नियमों को ध्यान में रखना जरूरी है, ताकि श्रीकृष्ण का आशीर्वाद अधिकतम प्राप्त हो सके.
वास्तु शास्त्र के अनुसार, कान्हा का झूला घर के उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) या पूर्व दिशा में रखना सबसे शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इन दिशाओं में देवताओं का वास होता है और यहां से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है.
झूले में रखी लड्डू गोपाल की मूर्ति का मुख हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए. इससे पूजा का शुभ फल मिलता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है.
जन्माष्टमी पर झूले का रंग पीला, सफेद, हल्का नीला या सुनहरा होना शुभ माना जाता है. झूला लकड़ी का होना सबसे अच्छा है, हालांकि चांदी या पीतल का झूला भी शुभ माना जाता है. स्टील या लोहे का झूला लगाने से बचना चाहिए.
झूले की सजावट में तुलसी, गेंदे के फूल, गुलाब, आम के पत्ते और तोरण का प्रयोग करें. साथ ही रेशमी कपड़े, मोती, मणि और मोर पंख से झूले को सजाकर और भी आकर्षक बना सकते हैं. इससे न केवल झूला सुंदर लगेगा बल्कि माहौल भी भक्तिमय हो जाएगा.