नई दिल्ली. हिंदू धर्म में अनेकों त्योहार मनाए जाते हैं. त्योहारों में लोग व्रत रखते हैं. व्रत का अपना एक अलग महत्व होता है. हमारे यहां लोग कई तरह के व्रत रखते हैं. इसी में से एक है तीज का व्रत. साल में तीन बार तीज का त्योहार पड़ता है. हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है. तीज के ये तीनों व्रत भगवान शंकर और माता पार्वती को समर्पित होता है. औरते अपने पति की लंबी आयु के लिए, संतान की खुशी के लिए, अपने परिवार की सुख शांति के लिए इस व्रत को रखती हैं.
आने वाले कुछ दिनों में कजरी तीज का व्रत पड़ने वाला है. आइए जानते हैं कि ये व्रत किस दिन रखा जाएगा. इसकी कथा और इसका महत्व क्या है. आइए जानते हैं.
कब है कजरी तीज का व्रत
इस बार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि 2 सितंबर को पड़ रही है. इसी दिन कजरी तीज का व्रत रखा जाएगा. इस व्रत को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं.
ऐसा माना जाता है कि सुहागिन औरते अपने पति की लंबी आयु के लिए इस व्रत को रखती हैं वहीं कुंवारी लड़कियां मनचाहा और अच्छा वर पाने के लिए इस व्रत को रखती हैं. जो इस व्रत को रखता है उसे कजरी तीज की कथा सुननी चाहिए नहीं तो ये व्रत अधूरा माना जाता है.
कजरी तीज व्रत का शुभ मुहूर्त (Auspicious time for Kajari Teej fast)
क्या है कजरी तीज व्रत की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ रहता था. उसकी पत्नी को भाद्रपद माह में आने वाली सातुड़ी तीज पर व्रत रखना था. उसने अपने पति से सत्तू लाने को कहा. क्योंकि इस व्रत में सत्तू का बहुत महत्व होता है. इस पर ब्राह्मण की बोला कि वो कहां से सत्तू लाए. पत्नी ने कहा चाहे चोरी करो, डाका डालों लेकिन सत्तू लेकर आओ.
ब्राह्मण अपनी पत्नी की बात मानकर सत्तू लेने के लिए निकल पड़ा. वह रात में साहूकार की दुकान में वो सबकुच चोरी करके जा ही रहा था कि तभी साहूकार की आंखे खुल गई और उसने चिल्लाया. ब्राह्मण पकड़ा गया. उसने कहा कि वह चोर नहीं है. उसकी पत्नी ने तीज का व्रत रखा है जिसके लिए उसके पास पैसे नहीं थे तो वह सत्तू लेने आया है.
ब्राह्मण के अच्छे दिन
इसके बाद साहूकार ने ब्राह्मण की तलाशी ली तो उसके पास सिर्फ सत्तू ही निकला. इसके बाद साहूकार ने ब्राह्मण को सातु, गहने, रुपए, मेहंदी, लच्छा और बहुत सारा धन देकर विदा किया.
ब्राह्मण की पत्नी ने विधि विधान से कजरी माता की पूजा-अर्चना की. इसके बाद से गरीब ब्राह्मण के घर से गरीबी दूर हो गई और उसका परिवार सुखमय जीवन व्यतीत करने लगा.
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