Pradosh Vrat 2024 : साल 2024 का पहला प्रदोष व्रत पौष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को पड़ रहा है. इसी दिन मासिक शिवरात्रि भी है. यह व्रत हर संकट से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है. साल 2024 का पहला प्रदोष व्रत 9 जनवरी 2024 दिन मंगलवार को पड़ रहा है. मंगलवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहते हैं. प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है. पुराणों के अनुसार इस व्रत को करने से बेहतर स्वास्थ्य और लम्बी आयु की प्राप्ति होती है.
हनुमान जी को भगवान शिव का ही रूद्र अवतार माना जाता है, इसलिए मान्यता है कि भौम प्रदोष का व्रत करने से हनुमान जी भी प्रसन्न होते हैं. इसके साथ ही व्यक्ति के मंगल ग्रह संबंधी दोष भी समाप्त हो जाते हैं. इस व्रत को करने से सारे कष्ट और हर प्रकार के दोष मिट जाते हैं. कलयुग में प्रदोष व्रत को करना बहुत मंगलकारी होता है और शिव कृपा प्रदान करता है.
आज मासिक शिवरात्रि भी है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार, मासिक शिवरात्रि का दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उत्तम माना जाता है. इस दिन विधि-विधान से पूजा पाठ की जाती है और शिव जी का अभिषेक किया जाता है. देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने के लिए सोमवार के अलावा मासिक शिवरात्रि का दिन भी उत्तम माना जाता है.
हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी 8 जनवरी 2024 की रात 11 बजकर 58 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 9 जनवरी 2024 को रात 10 बजकर 24 मिनट तक रहेगी. इस दिन शिव पूजा के लिए शाम 05 बजकर 01 मिनट से रात 08 बजकर 24 मिनट तक शुभ मुहूर्त रहेगा. इस दौरान पूजा का मुहूर्त 2 घंटे 43 मिनट तक का रहेगा.
9 जनवरी 2024 को रात 10 बजकर 24 मिनट के बाद चतुर्दशी तिथि शुरू हो जाएगी. यह 10 जनवरी रात 8 बजकर 10 मिनट तक रहेगी. ऐसे में मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने वालों के लिए पूजा मुहूर्त देर रात 12 बजकर 01 से देर रात 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा. प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि व्रत के संयोग से पूर्वजन्मों के पाप और कष्टों से मुक्ति मिलती है.
प्रदोष तिथि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान व ध्यान करें और सफेद वस्त्र धारण करें. इसके बाद हाथ में अक्षत रखते हुए ‘अद्य अहं महादेवस्य कृपाप्राप्त्यै सोमप्रदोषव्रतं करिष्ये’ मंत्र का जाप करते हुए व्रत का संकल्प लें. इसके बाद पास के शिवालय में जाकर शिवलिंग की पूजा अर्चना करें और शिव परिवार की पूजा करें.
इसके बाद पूरे दिन उपवास रखें और दिनभर ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करते रहें. इसके बाद प्रदोष काल से पहले स्नान करें और प्रदोष काल में शिवलिंग की पूजा अर्चना करें. शिवलिंग का गंगाजल, दूध, दही, शहद, जल आदि चीजें से अभिषेक करें और चंदन का लेप लगाएं.
इसके बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, धूपबत्ती, सफेद फूल, भांग, धतूरा, मिठाई, वस्त्र आदि चीजें अर्पित करें. अंत में प्रदोष व्रत की कथा सुनें और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें. फिर विधि विधान के साथ भगवान शिव की आरती करें और व्रत का पारण कर सकते हैं.
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