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खरना है आज, यहां जानें छठ पूजा के दूसरा दिन का शुभ मुहूर्त और विधि

छठ पूजा 2025 का दूसरा दिन यानी खरना आज है. चार शुभ योगों के संयोग में आज खरना मनाया जा रहा है. व्रती पूरे दिन उपवास रखकर सूर्यास्त के बाद गुड़-चावल की खीर, पूड़ी और केले से प्रसाद बनाकर छठी मैया को अर्पित करते हैं.

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Edited By: Reepu Kumari
Chhath Puja 2025 Kharna Puja Vidhi Muhurat and Significance of 4 Auspicious Yogas
Courtesy: Pinterest

नई दिल्ली: आज छठ पूजा का दूसरा दिन है, जिसे खरना या लोहंडा कहा जाता है. यह दिन व्रतधारियों के लिए सबसे अनुशासित और पवित्र माना जाता है. इस दिन पूरे दिन उपवास रखकर शाम को सूर्यास्त के बाद प्रसाद ग्रहण किया जाता है. इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत आरंभ होता है. यह पर्व सूर्यदेव और छठी मैया की आराधना के साथ भक्ति, शुद्धता और आत्मसंयम का प्रतीक है.

खरना का दिन धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से भी अत्यंत शुभ है. इस वर्ष खरना पर चार विशेष योग-सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, शोभन योग और नवपंचम राजयोग बन रहे हैं. इन योगों में किया गया कोई भी कार्य शुभ फल देता है. यह दिन परिवार, समाज और आध्यात्मिकता को एक सूत्र में जोड़ता है. आइए जानते हैं खरना की पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व विस्तार से.

खरना का धार्मिक महत्व क्या है?

खरना छठ पूजा का दूसरा और सबसे पवित्र दिन है. इस दिन व्रती दिनभर उपवास रखते हैं और सूर्यास्त के बाद गुड़-चावल की खीर, पूड़ी और केले से प्रसाद बनाकर छठी मैया को अर्पित करते हैं. यह दिन आत्मशुद्धि और भक्ति का प्रतीक है, जो अगले 36 घंटे के निर्जला व्रत की नींव रखता है.

खरना शब्द का अर्थ क्या है?

'खरना' शब्द संस्कृत के 'क्षरण' से बना है, जिसका अर्थ होता है ‘पाप और नकारात्मकता का क्षय’. इस दिन व्रती शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करते हैं. दिनभर उपवास और शाम का प्रसाद व्यक्ति को आत्मिक शांति और अनुशासन का संदेश देता है.

चार शुभ योग कौन-कौन से हैं?

खरना पर सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, शोभन योग और नवपंचम राजयोग बन रहे हैं. इन चारों योगों के संयोग से यह दिन अत्यंत फलदायी माना गया है. इन योगों में पूजा, संकल्प और व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है.

खरना पूजा का शुभ मुहूर्त कब है?

पंचांग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 27 अक्टूबर की सुबह 6:04 बजे तक रहेगी. इसके बाद षष्ठी तिथि आरंभ होगी. सूर्यास्त के बाद खरना पूजा और प्रसाद अर्पण का शुभ समय माना गया है.

खरना की तैयारी कैसे करें?

सुबह स्नान कर घर की मिट्टी से लिपाई करें. पूजा स्थल को शुद्ध करें और सूर्यदेव व छठी मैया का ध्यान करें. व्रत की शुरुआत करते समय मन को शांत और सकारात्मक रखें. पूजा में इस्तेमाल होने वाले सभी बर्तन और सामग्री शुद्ध होनी चाहिए.

खरना प्रसाद में क्या बनता है?

खरना का मुख्य प्रसाद गुड़-चावल की खीर (रसियाव), पूड़ी या रोटी और केला होता है. इसे मिट्टी के चूल्हे पर पकाया जाता है. केले के पत्ते पर प्रसाद अर्पित किया जाता है, फिर व्रती और परिवारजन इसे ग्रहण करते हैं.

खरना पूजा की विधि क्या है?

सूर्यास्त के बाद मिट्टी के बर्तनों में प्रसाद तैयार करें. प्रसाद बनने के बाद सूर्यदेव और छठी मैया की आराधना करें. केले के पत्ते पर प्रसाद चढ़ाएं और आरती करें. पूजा पूर्ण होने पर प्रसाद ग्रहण कर निर्जला व्रत आरंभ करें.

खरना का आध्यात्मिक संदेश क्या है?

खरना आत्मसंयम, पवित्रता और परिवारिक एकता का प्रतीक है. यह दिन भौतिक इच्छाओं से परे जाकर आत्मा की शुद्धि की ओर प्रेरित करता है. खरना का पर्व बताता है कि सच्ची भक्ति में अनुशासन और श्रद्धा दोनों का संतुलन आवश्यक है.

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.