नहाय-खाय आज, जानें कद्दू भात का प्रसाद क्यों है खास


Reepu Kumari
2025/10/25 10:26:39 IST

नहाय-खाय का धार्मिक महत्व क्या है?

    नहाय-खाय का अर्थ है स्नान करके शुद्ध भोजन ग्रहण करना. यह शरीर और मन की शुद्धि का प्रतीक है. सूर्योदय से पहले स्नान कर व्रती छठ पूजा का संकल्प लेते हैं और चार दिन के निर्जला व्रत के लिए खुद को तैयार करते हैं.

Credit: GEMINI (प्रतिकात्मक)

घर की स्वच्छता क्यों महत्वपूर्ण है?

    छठ पूजा में पवित्रता का सबसे अधिक महत्व है. इस दिन पूरे घर और रसोई की सफाई जरूरी है. प्रसाद बनाने के लिए नए या बिल्कुल साफ बर्तन इस्तेमाल किए जाते हैं.

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सात्विक भोजन में क्या शामिल होता है?

    सात्विक भोजन में अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू या लौकी की सब्जी शामिल होती है. इसे शुद्ध घी या सरसों के तेल और सेंधा नमक में बनाया जाता है. लहसुन-प्याज का उपयोग नहीं होता. यह भोजन व्रतधारी के शरीर को पोषण और ऊर्जा देता है

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कद्दू-भात का स्वास्थ्य और व्रत में क्या योगदान है?

    कद्दू में पानी की मात्रा अधिक होती है. यह चार दिन के कठिन उपवास से पहले शरीर को हाइड्रेटेड और ऊर्जा से भरपूर बनाता है. इससे निर्जला उपवास के दौरान व्रती स्वस्थ रहते हैं.

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नहाय-खाय के विशेष नियम

    नहाय-खाय के दिन कुछ खास नियमों का पालन किया जाता है.

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सूर्योदय से पहले उठकर स्नान

    व्रती सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करते हैं और घर को शुद्ध करते हैं.

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बर्तन

    इस दिन भोजन केवल मिट्टी या कांसे के बर्तनों में बनता है.

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लकड़ी या मिट्टी के चूल्हे

    खाना पकाने के लिए लकड़ी या मिट्टी के चूल्हे का उपयोग किया जाता है.

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Disclaimer

    यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.

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