छठ पूजा में पीतल के बर्तन ही क्यों होते हैं इस्तेमाल?


Reepu Kumari
2025/10/25 12:06:00 IST

छठ पूजा में पीतल का महत्व

    पीतल के बर्तन पूजा में पवित्रता, शुभता और श्रद्धा का प्रतीक माने जाते हैं. व्रती इन बर्तनों में सूर्य भगवान को अर्घ्य देते हैं.

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सूर्य देव का प्रतीक पीला रंग

    पीतल के चमकीले पीले रंग का संबंध सूर्य भगवान से जोड़ा जाता है, इसलिए यह व्रत में विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है.

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धार्मिक मान्यता

    पीतल नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और बृहस्पति ग्रह के प्रभाव को बढ़ाता है, जो ज्ञान और समृद्धि का कारक माना जाता है.

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भगवान विष्णु को प्रिय धातु

    धार्मिक मान्यता के अनुसार पीतल भगवान विष्णु को भी प्रिय धातु मानी जाती है और इसे पूजा में प्रयोग करना शुभ होता है.

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पारंपरिक प्रयोग

    प्राचीन समय से व्रती पारंपरिक रूप से पीतल या फुल्हा के बर्तन का प्रयोग करते आए हैं, ताकि पूजा में शुद्धता और पवित्रता बनी रहे.

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टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल

    पीतल एक टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल धातु है, जिसे बार-बार उपयोग किया जा सकता है और यह लंबी उम्र वाले बर्तन बनाता है.

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वैज्ञानिक महत्व

    पीतल शुद्ध और पवित्र धातु है, जो सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है और मंदिरों तथा पूजा स्थलों में इसका उपयोग किया जाता है.

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जीवाणुरोधी गुण

    पीतल के बर्तनों में जीवाणुरोधी और शुद्धिकरण के गुण पाए जाते हैं, जिससे यह पवित्र जल और प्रसाद रखने के लिए उपयुक्त होता है.

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Disclaimer

    यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.

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