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हद है! पिच में घुसने पर पिटा कोहली का फैन पर जार्वो को क्यों मिलती रही छूट, अब क्रिकेट फैटर्निटी पर उठ रहे सवाल

Virat Kohli Fan got beaten: क्रिकेट के मैदान पर दर्शकों का उत्साह देखना लाजमी है. लेकिन कई बार ये उत्साह बेकाबू होकर मैदान पर धावा बोलने जैसी घटनाओं को जन्म दे देता है. हाल ही में विराट कोहली के एक फैन द्वारा मैदान पर आने की घटना और उसके बाद सुरक्षा गार्ड्स की ओर से की गई पिटाई ने सुरक्षा और फैंस की दीवानगी के बीच की लकीर को एक बार फिर से सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है.

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India Daily Live

Virat Kohli Fan got beaten: इंग्लैंड के मशहूर क्रिकेट फैन 'जार्वो' को पिछले साल भारत में हुए वनडे वर्ल्ड कप 2023 के दौरान मैदान पर बार-बार घुसपैठ करने की घटना को कौन भूल सकता है जिसके उन पर बाकी के मैचों के लिए स्टेडियम आने पर भी बैन लगा दिया गया था. अब भारत में खेले जा रहे आईपीएल में भी 2 दिन पहले एक विराट कोहली का फैन अपने आदर्श से मिलने के लिए मैदान पर घुस गया.

हालांकि यह मामला उस वक्त गंभीर बन गया जब फैन को पकड़ने के बाद एम चिन्नास्वामी स्टेडियम की सुरक्षा टीम ने उसे पीटना शुरू कर दिया. ऐसे में सवाल यह है कि भारतीय फैन के साथ हाथापाई हुई तो जार्वो को क्यों फ्री छोड़ा गया. 

हाल ही में एक विराट कोहली के फैन की ओर से मैदान पर घुसपैठ की घटना सामने आई. इस घटना पर जहां कुछ लोगों का मानना था कि यह खिलाड़ी की सुरक्षा के लिए खतरनाक है, वहीं कुछ अन्य लोगों ने इसे रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) और स्टार बल्लेबाज की लोकप्रियता और फैनडम दिखाने के लिए इस्तेमाल किया. लेकिन इस घटना का एक और पहलू भी है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.

यह घटना उस वक्त विवाद का विषय बन गई, जब मैदान पर घुसे फैन को चिन्नास्वामी स्टेडियम की सुरक्षा टीम ने पकड़ने के बाद उसे बुरी तरह से पीटा. इस घटना का वीडियो वायरल हुआ, जिसने फैंस और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए. एक तरफ जहां मैदान पर आना गलत है वहीं दूसरी तरफ सुरक्षा गार्डों द्वारा क्रूरता को भी जायज नहीं ठहराया जा सकता.

गौर करने वाली बात यह है कि पिछले साल इंग्लैंड में भारत के टेस्ट मैचों और भारत में 2023 के एकदिवसीय विश्व कप के दौरान भी एक अंग्रेजी क्रिकेट फैन, 'जार्वो 69' ने इसी तरह की हरकत की थी. लेकिन तब मामले को इतना तूल नहीं दिया गया था और उसे सिर्फ टूर्नामेंट के बाकी मैच खेलने से प्रतिबंधित कर दिया गया था. यहां सवाल उठता है कि दोनों घटनाओं में सजा में इतना अंतर क्यों?

इस घटना से क्रिकेट प्रशासन के लिए भी एक सबक है. उन्हें इस बात को सुनिश्चित करना चाहिए कि स्टेडियम की सुरक्षा तो सख्त हो लेकिन साथ ही साथ मानवीय व्यवहार भी बना रहे. वहीं फैंस को भी अपनी दीवानगी को काबू में रखना चाहिए और समझना चाहिए कि इस तरह की हरकतों से न सिर्फ उनकी सुरक्षा खतरे में पड़ती है बल्कि इससे उनके आदर्श खिलाड़ी की छवि को भी नुकसान पहुंच सकता है.

गौर करने वाली बात ये है कि मैदान पर आना न सिर्फ खिलाड़ियों की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि इससे खेल भी बाधित होता है. ऐसे में जरूरत है कि फैंस को जागरूक किया जाए और उन्हें खेल भावना का सम्मान करना सिखाया जाए. साथ ही सुरक्षा व्यवस्था को भी इतना मजबूत बनाया जाए कि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके. वहीं दूसरी तरफ सुरक्षा गार्ड्स को भी प्रशिक्षित किया जाना चाहिए कि वे किसी भी परिस्थिति में हिंसा का सहारा न लें.

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