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India Daily

मां से बिछड़ा हाथी का बच्चा मदद मांगने इंसानों के पास जा पहुंचा, फिर जो हुआ वह देखकर आपका दिन बन जाएगा

असम के विश्व प्रसिद्ध काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में एक दो महीने का हाथी का बच्चा, जो अपने झुंड से बिछड़ गया था, आखिरकार अपनी मां के गर्मजोशी भरे आलिंगन में लौट आया

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Edited By: Garima Singh
Forest rangers reunited
Courtesy: x

Kaziranga National Park, Viral Video: असम के विश्व प्रसिद्ध काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में एक दो महीने का हाथी का बच्चा, जो अपने झुंड से बिछड़ गया था, आखिरकार अपनी मां के गर्मजोशी भरे आलिंगन में लौट आया. इस भावुक पुनर्मिलन का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें छोटा सा हाथी पहले भटकता हुआ और फिर अपनी मां के साथ जंगल की ओर बढ़ता दिखाई देता है. वन अधिकारियों की आवाज़ पृष्ठभूमि में गूंजती है, "जा जा जा!" जो इस दृश्य को और भी जीवंत बनाती है.

काजीरंगा के निकट बोरजुरी गांव के निवासियों ने इस नन्हे बछड़े को अकेला और परेशान देखा. उनकी सूझबूझ ने इस कहानी को खुशहाल अंत दिया. ग्रामीणों ने तुरंत वन विभाग को सूचित किया, जिसके बाद पशु चिकित्सक डॉ. भास्कर चौधरी के नेतृत्व में एक बचाव दल ने त्वरित कार्रवाई की. दल ने बछड़े को उसके परिवार से मिलाने के लिए दिन-रात मेहनत की. उनकी यह कोशिश रंग लाई और बछड़ा अपनी मां के पास सुरक्षित पहुंच गया.

वन अधिकारियों का अनूठा प्रयास

इस पुनर्मिलन को और खास बनाया वन अधिकारियों के संवेदनशील दृष्टिकोण ने. वीडियो में एक अधिकारी को बछड़े की सूंड और पैरों पर उसकी माँ का गोबर रगड़ते देखा गया. यह कदम इसलिए उठाया गया ताकि बछड़े पर लगी मानवीय गंध मिट सके, जिससे माँ उसे आसानी से पहचान कर स्वीकार कर ले. इस अनूठी तकनीक ने पुनर्मिलन को और भी सुगम बनाया.

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो

सेवानिवृत्त भारतीय वन सेवा अधिकारी सुशांत नंदा ने इस हृदयस्पर्शी दृश्य को एक्स पर साझा किया. उन्होंने लिखा, "छोटू काजीरंगा में अपनी माँ से बिछड़ गया था. बाद में उसे उसकी माँ से मिलाया गया. वन अधिकारियों ने मानव गंध को दबाने के लिए बछड़े पर माँ का गोबर लगाया. अंत में पुनर्मिलन की शुभकामनाएं." इस वीडियो को अब तक 47 लाख से अधिक बार देखा जा चुका है. सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने इसे खूब सराहा. एक यूजर ने लिखा, "पुनर्मिलन की शुभकामनाएं!" वहीं, दूसरे ने कहा, "प्रकृति की अपनी भाषा होती है, और वन अधिकारियों ने इसे दिल से बोला."

काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान: जैव-विविधता का खजाना

काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, जो 1908 में स्थापित हुआ, 2,200 से अधिक भारतीय एक सींग वाले गैंडों का घर है. 1985 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित, यह पार्क न केवल गैंडों के लिए बल्कि हाथियों, जंगली भैंसों, और दलदली हिरणों के लिए भी प्रसिद्ध है. 2006 में इसे टाइगर रिजर्व का दर्जा मिला, क्योंकि यहाँ बाघों की संख्या में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.