बेंगलुरु: सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल होने के बाद बड़ा विवाद खड़ा हो गया है, जिसमें बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल 2 के अंदर कुछ लोग नमाज अदा करते दिखाई दे रहे हैं. वीडियो में कई लोग नमाज अदा करते हुए दिखाई दे रहे हैं, जबकि हवाई अड्डे के कर्मचारी और सुरक्षाकर्मी पास में चुपचाप खड़े दिखाई दे रहे हैं.
ये सीन तेजी से ऑनलाइन वायरल हो गया जिससे इस बात पर गरमागरम राजनीतिक और सामाजिक बहस छिड़ गई कि क्या हवाई अड्डों जैसे सार्वजनिक और उच्च सुरक्षा वाले स्थानों के अंदर धार्मिक गतिविधियों की अनुमति दी जानी चाहिए. जैसे ही वीडियो ने सुर्खियां बटोरीं, विपक्षी नेताओं और सोशल मीडिया यूजर्स ने सवाल उठाना शुरू कर दिया कि टर्मिनल के अंदर इतनी भीड़ को कैसे इकट्ठा होने दिया गया. यहां देखें वीडियो.
How is this even allowed inside the T2 Terminal of Bengaluru International Airport?
— Vijay Prasad (@vijayrpbjp) November 9, 2025
Hon’ble Chief Minister @siddaramaiah and Minister @PriyankKharge do you approve of this?
Did these individuals obtain prior permission to offer Namaz in a high-security airport zone?
Why is it… pic.twitter.com/iwWK2rYWZa
कई लोगों ने तर्क दिया कि धार्मिक स्वतंत्रता एक संवैधानिक अधिकार है, लेकिन प्रतिबंधित या उच्च सुरक्षा वाले सार्वजनिक क्षेत्रों में नमाज अदा करने से सुरक्षा और प्रशासनिक चिंताएं पैदा हो सकती हैं. हवाई अड्डे का प्रबंधन करने वाली बेंगलुरु अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा लिमिटेड (BIAL) ने अभी तक इस घटना के बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है और न ही यह स्पष्ट किया है कि नमाज के लिए अनुमति दी गई थी या नहीं.
इस बीच, BJP ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली सिद्धारमैया सरकार पर 'दोहरे मानदंड' अपनाने का आरोप लगाते हुए हमला करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. BJP प्रवक्ता विजय प्रसाद ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, 'बेंगलुरु अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के टी2 टर्मिनल के अंदर इसकी अनुमति कैसे दी गई? मुख्यमंत्री @siddaramaiah और आईटी मंत्री @PriyankKharge - क्या आप इसे मंजूर करते हैं?'
उन्होंने आगे सवाल किया, 'क्या इन लोगों को इतनी कड़ी सुरक्षा वाले इलाके में नमाज पढ़ने की पूर्व अनुमति मिली थी? जब RSS उचित अनुमति लेकर पाठ संचलन करता है, तो सरकार आपत्ति क्यों करती है, लेकिन प्रतिबंधित सार्वजनिक क्षेत्र के अंदर इस तरह की गतिविधि की अनुमति क्यों देती है?'
यह बहस सार्वजनिक स्थानों, जैसे सड़कों, पार्कों और अब हवाई अड्डों पर नमाज पढ़ने को लेकर एक व्यापक राष्ट्रीय चर्चा को दर्शाती है. नमाज के समर्थकों का तर्क है कि यह धार्मिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत आस्था का मामला है, जबकि आलोचकों का दावा है कि यह सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित करता है और राजनीतिक पूर्वाग्रह को उजागर करता है.