21वीं सदी में भारत में 'रफ्तार क्रांति' चल रही है. रोज नए-नए नेशनल हाइवे और एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास या उद्घाटन हो रहा है. इस वक्त लगभग सभी बड़े शहरों को आपस में जोड़ने के लिए एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है. अब नेशनल हाइवे से ज्यादा एक्सप्रेस-वे की चर्चा हो रही है. ऐसे में सवाल यही है कि आखिर एक्सप्रेस-वे और नेशनल हाइवे में क्या अंतर होता है? इन दोनों तरह की सड़कों की बनावट और इन पर चलने वाली गाड़ियों की स्पीड में क्या अंतर होता है?
एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस वक्त देश में 4000 किलोमीटर से ज्यादा लंबे एक्सप्रेस-वे हैं. इसके अलावा, 10 से अधिक एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. इसमें सबसे प्रमुख हैं- दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे, द्वारका एक्सप्रेस-वे, मुंबई-नागपुर एक्सप्रेस-वे, गंगा एक्सप्रेस-वे, दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेस-वे, अहमदाबाद-धोलेरा एक्सप्रेस-वे, नर्मदा एक्सप्रेस-वे और रायपुर-विशाखापट्टनम एक्सप्रेस-वे. ये सभी एक्सप्रेस-वे अपने निर्माण के अंतिम चरण में हैं. इनसे देश के बड़े शहरों के बीच संपर्क के साथ-साथ व्यापार, आवागमन और बहुत सी चीजों में एक नई क्रांति आने वाली है.
आइए जानते हैं कि किस प्रकार से एक्सप्रेस वे, नेशनल हाइवे से अलग होते हैं. दरअसल, एक्सप्रेस वे आज के समय में सबसे बेहतर गुणवत्ता वाली सड़कों के रूप में जाने जाते हैं. इसमें बहुत सी ऐसी विशेषताएं हैं, जो आप को नेशनल हाइवे में ही नहीं बल्कि और भी किसी प्रकार के हाइवे में देखने को नहीं मिलेंगी. एक्सप्रेस वे दोनों तरफ से बाउंड्री से बंद हुए होते हैं. यानी इन पर आवारा जानवरों की एंट्री संभव नहीं होती हैं. इनकी ऊंचाई भी नेशनल हाइवे से अधिक होती है. ये इस तरह से डिजाइन किए जाते हैं कि इसमें ज्यादा कहीं मोड़ नहीं होते. अक्सर इन्हें सीधा-सीधा ही बनाया जाता है. जिससे इसे गाड़ियां सीधी चलती रहें और गति में कोई अवरोध उत्पन्न न हो.
एक्सप्रेस वे अक्सर आबादी वाले क्षेत्र से दूर ही बनाए जाते हैं. इसके किनारे बसावट नहीं की जा सकती. इस सड़क पर चढ़ने और उतरने के लिए कुछ सामान्य दूरी पर एंट्री और एग्जिट प्वाइंट बने रहते हैं. आमतौर पर देश में बने एक्सप्रेस वे की चौड़ाई छह से आठ लेन होती है. कुछ एक्सप्रेस वे को इस तरह बनाया गया है, जिससे आपात स्थिति बनने पर उन पर हवाई जहाज भी उतारे जा सकें. मौजूदा वक्त पर देश में सबसे लंबा पूर्वांचल एक्सप्रेस वे है और इसके बाद उत्तर प्रदेश का ही लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे है. इसकी कुल लंबाई 302 किमी है. देश में ही दुनिया का सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे भी बन रहा है. यह दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे. इसकी कुल लंबाई करीब 1300 किमी है. फिर दिल्ली-अमृतसर-कटरा के बीच 633 किमी लंबा एक्सप्रेस वे बन रहा है. ये दोनों एक्सप्रेस-वे जल्द ही पूरे होने वाले हैं.
राष्ट्रीय राजमार्ग सड़क के बुनियादी ढांचे की रीढ़ हैं. जो भारत के हर प्रमुख शहर को जोड़ते हैं. चाहे वे बंदरगाहों वाले शहर हों या फिर राज्यों की राजधानी हो. इसमें दो, चार या उससे ज्यादा लेन होती हैं. इन सड़कों को चारकोल, कोयला या फिर सीमेंट कंक्रीट से बनाया जाता है. भारत में राष्ट्रीय राजमार्ग ग्रेड सड़कों के अंतर्गत आते हैं. देखा जाए तो राजमार्गों पर गति ज्यादातर अनियंत्रित होती है, जिसके कारण ये पैदल या साइकिल चालकों के लिए खतरनाक होते हैं. इसमें कोई संदेह नहीं है कि राष्ट्रीय राजमार्ग ने देश के आर्थिक विकास को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है क्योंकि कई शहरों के साथ व्यापार राजमार्गों के माध्यम से ही होता है. इसमे को एंट्री या एग्जिट नहीं होता है और ये बहुत से शहर, टाउन और गांव को एक साथ जोड़ने का काम करते हैं.
एक्सप्रेस वे पर नेशनल हाइवे की तुलना में गाड़ियां ज्यादा रफ्तार से चल सकती हैं. वैसे तो अलग-अलग एक्सप्रेस वे की अलग-अलग स्पीड लिमिट होती है लेकिन सामान्यतः स्पीड लिमिट 120 किमी प्रति घंटे की होती है जबकि नेशनल हाइवे पर अधिकतम रफ्तार सीमा 80 से 100 किमी प्रति घंटे की होती है. एक्सप्रेस वे पर टू व्हीलर और थ्री व्हीलर की एंट्री नहीं होती. वहीं, हाइवे पर सभी प्रकार की गाड़ियां चल सकती हैं.
ये सड़कें एक राज्य की सीमा के अंदर ही फैली होती हैं. स्टेट हाइवे राज्य में विभिन्न शहरों को आपस में जोड़ने का काम करते हैं. इनका निर्माण भी राज्य सरकार द्वारा कराया जाता है जबकि नेशनल एक्सप्रेस वे और नेशनल हाइवे को केंद्र सरकार बनाती है. यहां पर सभी वैध वाहन चलाए जा सकते हैं. अगर आप सड़क किनारे बने माइलस्टोन पर हरा रंग देख रहे हैं तो इसका मतलब है कि आप स्टेट हाइवे पर चल रहे हैं.
ये सड़कें एक जिला विशेष में फैली होती हैं. अमूमन इनका काम छोटे-छोटे कस्बों और ग्रामीण इलाकों को जिला मुख्यालय से जोड़ना होता है. ये सड़कें नेशनल और स्टेट हाइवे की तुलना में कम चौड़ी होती हैं. आप अगर सड़क पर चलते समय नीले या काले रंग का माइलस्टोन देखते हैं, तो इसका मतलब है कि आप जिला स्तरीय सड़कों के माध्यम से यात्रा कर रहे हैं.