नई दिल्ली. भारत को 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली थी, तब से आज तक हम इस दिन को धूमधाम से स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं. इस दिन देश के प्रधानमंत्री लाल किले पर तिरंगा फहराते हैं. इस दिन को पूरे देश में उत्सव की तरह मनाया जाता है. सभी सरकारी संस्थानों को तिरंगे की रोशनी से सजाया जाता है. इसके साथ ही इस दिन हर डिपार्टमेंट में तिरंगा फहराया जाता है. वहीं, भारत का एक राज्य ऐसा भी है, जहां पर 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाया जाता है.
कौन सा है यह राज्य
भारत के इस राज्य का नाम गोवा है. आज गोवा एक अच्छा पर्यटन स्थल है. 15 अगस्त 1947 को भारत अंग्रेजों की हुकूमत से तो आजाद हुआ था, लेकिन गोवा पर पुर्तगालियों का राज्य बरकरार था. गोवा पर पुर्तगालियों ने लगभग 400 साल तक राज किया था. इसके अलावा भारत को आजादी मिलने के 14 साल बाद यानी 1961 में गोवा राज्य पुर्तगालियों की हुकूमत से आजाद हुआ था. साल 1510 में अलफांसो-द-अल्बुकर्क के नेतृत्व में पुर्तगालियों ने गोवा पर हमला कर दिया था. इसके बाद से यह राज्य उनके कब्जे में आ गया था.
भारत सरकार ने गोवा को मुक्त कराने का किया था प्रयास
भारत सरकार ने गोवा को पुर्तगालियों से मुक्त कराने का प्रयास किया था, लेकिन पुर्तगालियों ने गोवा को छोड़ने से मना कर दिया था. गोवा को मसाले के व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण जगह माना जाता था. इसके साथ ही पुर्तगालियों को मसाले के कारोबार से बहुत मुनाफा होता था. इस कारण कई सालों तक उन्होंने गोवा पर अपना राज कई सालों तक बरकरार रखा था.
युद्ध के लिए तैयार हो गया था भारत
भारत ने आजाद होने के बाद गोवा की आजादी के लिए कई प्रयास किए, लेकिन हर बार पुर्तगालियों ने गोवा को छोड़कर जाने से मना ही किया था. इसके अलावा हर बार भारत सरकार का पुर्तगाली सरकार के साथ बातचीत का प्रयास असफल ही रहा. इसके बाद भारत सरकार ने गोवा को आजाद कराने के लिए हवाई हमले की तैयारी की और थल सेना को भी लड़ाई के लिए तैयार कर दिया. यह लड़ाई का प्रयास सफल रहा और 19 दिसंबर 1961 में गोवा पुर्तगाली सरकार से आजाद हो गया. इस कारण गोवा अपना स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को नहीं बल्कि 19 दिसंबर को मनाता है.
आजादी के बाद भारत का हिस्सा बने थे ये राज्य
भारत की आजादी के बाद भी कुछ ऐसे राज्य थे, जो भारत का हिस्सा नहीं हुए थे. इनको आजादी के बाद भारत का हिस्सा बनाया गया था.
हैदराबाद में निजाम का शासन था
ब्रिटिश शासनकाल के दौरान हैदराबाद में निजाम का शासन था. भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के समय हैदराबाद के निजाम ने दोनों देशों की संविधान सभा में भाग लेने से इंकार कर दिया था. लगातार बातचीत के बाद भी हैदराबाद का भारत में विलय करने के लिए निजाम ने इंकार कर दिया था, जबकि वहां के लोग भारत के साथ जाना चाहते थे. इस कारण भारत को पुलिस कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा और 13 सितंबर 1948 को भारत की ओर से ऑपरेशन पोलो के नाम पर हैदराबाद पर आक्रमण किया गया और उस पर विजय प्राप्त की.
सिक्किम में था चोग्याल वंश का शासन
भारत के सिक्किम राज्य पर चोग्याल वंश का शासन था. सिक्किम भारत का संरक्षित राज्य हुआ करता था. हालांकि भारत सिक्किम की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेता था, लेकिन 1975 में वहां की राजनीतिक स्थिति बिगड़ गई थी. राजा ने मनमाने ढंग से शासन शुरू कर दिया था, जिसके बाद इसके जवाब में वहां के प्रधानमंत्री के आह्वानपर भारतीय सेना ने अप्रैल 1975 में राजा की सेना के जवानों को बंधक बना लिया था. इसके बाद लोगों ने राजशाही खत्म करने और भारत के साथ जुड़ने के लिए एकजुट होकर मतदान किया था. इस प्रकार सिक्किम 16 मई 1975 को भारत का हिस्सा बना था.
भोपाल 1949 में बना भारत का हिस्सा
भोपाल भी उन राज्यों में था, जिन्होंने भारत के साथ विलय होने के लिए हस्ताक्षर किया था. भोपाल के नवाब हमीदुल्लाह खान आजादी के बाद मुहम्मद अली जिन्ना से निकटता के कारण पाकिस्तान चले गए थे. इस कारण 1 मई 1949 को भोपाल भारत का हिस्सा बन गया था.