नई दिल्ली: लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पकंज चौधरी ने कहा कि आटा, चावल, जैसी जरुरी खाने-पीने की चीजों पर जीएसटी वापस लेने का फिलहाल कोई इरादा नहीं है. जीएसटी काउंसिल की तरफ से ऐसी कोई सिफारिश नहीं की गई है. दरअसल लोकसभा सांसद एंटो एंटनी ने सदन में सवाल पूछा था कि क्या सरकार आटा, चावल, दूध, इत्यादि जैसी जरुरी खाने-पीने की चीजों पर जो जीएसटी लगाया गया है उसे वापस लेने पर गंभीरता से विचार कर रही है?
इस सवाल के जवाब में केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पकंज चौधरी ने कहा कि दाल, चावल, आटा, और अन्य खाने-पीने की चीचें जब खुली में बेची जाती है और साथ ये प्री- पैक्ड नहीं होती और इसपर लेबल नहीं होता तो ये खाने-पीने की जरुरी चीजों पर कोई जीएसटी नहीं लगता है. लेकिन पैकेट और लेबल के साथ जब इन खाने-पीने की चीजों को बेचा जाता है तो इनपर 5 फीसदी का कंसेशनल जीएसटी लगता है.
यह भी पढ़ें: IND vs IRE: एक साल बाद टीम में वापसी करते ही बने कप्तान, आयरलैंड दौरे के लिए हुआ भारतीय टीम का ऐलान
दरअसल पिछले साल 18 जुलाई, 2022 को जीएसटी काउंसिल ने डिब्बा बंद या पैक्ड और लेबल वाले आटा, दही, पनीर, लस्सी, शहद, सूखा मखाना, सूखा सोयाबीन, मटर जैसे उत्पाद, गेहूं और अन्य अनाज तथा मुरमुरे पर पांच फीसदी जीएसटी लगाने का अहम फैसला लिया था. जिसके चलते ये सब चीजें महंगी हो गई है.
इस फैसले के बाद केंद्र सरकार की जमकर आलोचना भी हुई थी. जिसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बड़ा बयान देते हुए साफ किया था कि इन पैक्ड खाने पीने की चीजों पर टैक्स का फैसला जीएसटी काउंसिल की बैठक में सबकी सहमति से लिया गया गै. जिसमें गैर बीजेपी शासित राज्य पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश और केरल की भी सहमति थी.
सदन में मणिपुर के मुद्दे पर विपक्ष का हंगामा लगातार जारी है. विपक्षी सांसद सदन की कार्यवाही के दौरान मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा की मांग पर अड़े हुए है. विपक्ष मणिपुर मामले पर पीएम मोदी के बयान की मांग कर रहा है तो वहीं सरकार की तरफ से सदन में चर्चा के लिए विपक्ष से हिस्सा लेने की अपील की जा रही है.
यह भी पढ़ें: डेनमार्क में कुरान और शेष धार्मिक पुस्तकों की बेअदबी होगी गैर-कानूनी, सरकार कानून लाने का कर रही विचार