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बिहार के विश्वविद्यालयों में डिस्टेंस माध्यम से कोर्स कराने को लेकर लगी रोक से लाखों विद्यार्थियों का भविष्य खतरे में

बिहार के विद्यार्थी अब वहां की किसी भी यूनिवर्सिटी से डिस्टेंस लर्निंग के माध्यम से पढ़ाई नहीं कर पाएंगे. यूजीसी ने सभी पर रोक लगा दी है.

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Mohit Tiwari
बिहार के विश्वविद्यालयों में डिस्टेंस माध्यम से कोर्स कराने को लेकर लगी रोक से लाखों विद्यार्थियों का भविष्य खतरे में

नई दिल्ली. बिहार के लाखों विद्यार्थियों का भविष्य खतरे में आ गया है, क्योंकि अब वहां की कोई भी यूनिवर्सिटी डिस्टेंस लर्निंग के माध्यम से पढ़ाई नहीं करा पाएगी. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी की मान्यता पर रोक लगा दी है. इससे कई विद्यार्थियों का नुकसान हो रहा है. इसके साथ ही राज्य की इकलौती नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी में इस नए सत्र में नामांकन की मंजूरी नहीं मिलने के कारण कोई भी एडमिशन नहीं हो पाया है. यूजीसी के नए नियम के मुताबिक डिस्टेंस लर्निंग के माध्यम से पढ़ाई कराने के लिए भी अब विश्वविद्यालयों को नैक से मान्यता लेनी होगी. इसके बाद वे विवि नामांकन करा पाएंगे.

नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी ने नैक के लिए एसएसआर सबमिट कर दिया है. इसको किए हुए करीब एक महीना भी बीत गया है. एसएसआर जमा करने के 45 दिनों के बाद ही नैक की टीम आती है. जबतक नैक से ग्रेड नहीं मिल जाता है, तब तक नामांकन प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाएगी. इसके साथ ही नालंदा ओपन विवि के कुलपति प्रो. केसी सिन्हा ने बताया कि मान्यता के लिए यूजीसी के चेयरमैन प्रो. एम जगदीश कुमार से कई बार मुलाकात हुई है. विवि की ओर से अपना पक्ष रखा गया है, लेकिन यूजीसी के चेयरमैन की ओर से अभी तक कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया है. उन्होंने बताया कि यूजीसी ने देश के कई ओपन विवि में एडमिशन पर रोक लगा दी है.

किसी भी यूनिवर्सिटी के पास नहीं है नैक से ए ग्रेड 

यूजीसी के नियम के मुताबिक देश के सिर्फ वही विवि डिस्टेंस लर्निंग के माध्यम से पढ़ाई करा सकते हैं, जिनको नैक से ए ग्रेड प्राप्त है. बी प्लस और बी ग्रेड वाले विवि डिस्टेंस लर्निंग के माध्यम से पढ़ाई नहीं करा पाएंगे. वर्तमान में बिहार की किसी भी यूनिवर्सिटी को नैक से ए ग्रेड नहीं मिला हुआ है.  इस कारण सभी विवि में डिस्टेंस से पढ़ाई बंद है.

इस विवि को हुआ सबसे ज्यादा फायदा

बिहार के विश्वविद्यालयों में डिस्टेंस लर्निंग के माध्यम से पढ़ाई पर रोक लगने के बाद, इग्नू को सबसे अधिक फायदा हुआ है. इग्नू के निदेशक अभिलाष नायक ने बताया कि उनके यहां दो सत्रों में नामांकन होता है. पहला जनवरी और दूसरा जुलाई में होता है. दोनों सत्रों को मिलाकर 65 हजार से अधिक नामांकन हो चुके हैं. वहीं, जनवरी में 24 हजार और जुलाई में 41 हजार नामांकन हुए है. नामांकन की अंतिम तिथि 31 जुलाई है.