Diesel Generator Ban in Delhi-NCR: वायु प्रदूषण कम करने दी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सरकार ने 1 अक्टूबर से नोएडा, गाजियाबाद समेत पूरे दिल्ली-एनसीआर में डीजल जनरेटरों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. सरकार के इस फैसले से उद्योग जगत में हड़कंप मच गया है.
हर साल की तरह इस बार भी दमघोंटू वायु प्रदूषण को रोकने के लिए GRAP (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान) लागू किया जा रहा है. GRAP लागू होने के बाद दिल्ली-एनसीआर में केवल बायो या पीएनजी फ्यूल से जनरेटर चलाने की अनुमति होगी.
सरकार के इस फैसले के बाद दिल्ली-एनसीआर के उद्दमियों की नींद उड़ी हुई है क्योंकि अब उन्हें अपने जेनसेट बायो या पीएनजी फ्यूल में कनवर्ट करने होंगे और ऐसा करने के लिए उनके पास केवल 3 दिनों का ही समय शेष बचा है.
जेनरेटरों को पीएनजी या बायो फ्यूल में ना बदले जाने की स्थिति में उद्यमियों को भारी घाटा झेलना पड़ सकता है. एक घंटा बिजली गुल रहने पर उद्यमियों को 500 करोड़ के राजस्व का नुकसान होगा. नोएडा की 70 से अधिक सोसाइटियां ऐसी हैं जहां पावर बैकअप डीजल जनरेटर के सहारे है.
नोएडा-ग्रेटर नोएडा में करीब 12 से 15 हजार उद्योग हैं. इसके अलावा सोसाइटी और प्राइवेट संस्थान भी हैं. पूरे शहर में करीब 40 हजार जनरेटर हैं जिनमें से अब तक केवल 4 हजार जनरेटरों को ही पीएनजी फ्यूल में बदला जा सका है.
इनमें से 1500 जनरेटर उद्योग धंधों में लगे हुए हैं, ऐसे में अगर डीजल जनरेटर बंद हुए तो उद्योग बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं. सरकार के इस फैसले का सीधा असर एमएसएमई सेक्टर पर पड़ेगा. MSME यूनिट्स में लगभग 50 से 100 श्रमिक काम करते हैं. यूनिट बंद होने पर इन श्रमिकों की आजीविका पर संकट मंडरा सकता है.
कहा जा रहा है कि डीजल जनरेटरों के बंद होने का सबसे बड़ा असर उद्योगों के अलावा मॉल, हाईराइज सोसाइटियों और अस्पतालों पर पड़ेगा.
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