menu-icon
India Daily

आखिर क्या होता है GPS Tracker, जिससे एक पोते ने अपनी दादी को ढूंढ निकाला; जानें कैसे करता है काम

क्या आप जानते हैं कि जीपीएस ट्रैकर क्या होता है? अगर नहीं, तो यहां हम आपको इसके बा रे में बता रहे हैं, साथ ही यह भी बताएंगे कि यह ट्रैकर कैसे काम करता है.

auth-image
Edited By: Shilpa Srivastava
GPS Tracker India Daily Live
Courtesy: Pinterest

मुंबई: साउथ मुंबई में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें एक पोते ने अपनी दादी को जीपीएस ट्रैकर के जरिए ढूंढ निकाला था. इस मामले में, शाम की सैर के दौरान 79 साल की एक महिला अचानक गायब हो गई. इससे उनका परिवार परेशान हो गया था. इस महिला को उसके पोते ने एक जीपीएस ट्रैकर द्वारा ढूंढ निकाला. बता दें यह ट्रैकर महिला के हार में लगा था. 

पहले इस मामले के बारे में जानते हैं, फिर समझेंगे कि आखिर जीपीएस ट्रैकर क्या होता है. साथ ही यह भी जानेंगे कि जीपीएस ट्रैकर कैसे काम करता है. 

क्या था मुंबई का मामला:

अधिकारियों ने बताया कि 3 दिसंबर को सेवरी इलाके में सायरा बी ताजुद्दीन मुल्ला को एक टू-व्हीलर ने टक्कर मार दी, जिसके बाद कुछ पैदल चलने वाले लोग उन्हें BMC द्वारा चलाए जा रहे KEM अस्पताल ले गए. जब मुल्ला घर पर नहीं थीं, तब उनके घरवाले घबरा गए. फिर उनके पोते मोहम्मद वसीम अयूब मुल्ला ने उनके हार में लगाए गए GPS डिवाइस को एक्टिवेट किया. इससे उनकी लोकेशन पता चली. यह लोकेशन परेल के KEM अस्पताल में दिखाई दी, जो सेवरी से सिर्फ 5 किमी दूर है.

क्या होता है जीपीएस ट्रैकर?

GPS ट्रैकर एक ऐसा डिवाइस है जो अपनी ज्योग्राफिक लोकेशन पता करने के लिए ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) का इस्तेमाल करता है. फिर वो इस डाटा को मॉनिटरिंग के लिए किसी रिमोट डिवाइस या सर्वर पर भेजता है. इन डिवाइस का इस्तेमाल गाड़ियों, सामान, लोगों और यहां तक कि जानवरों की रियल-टाइम लोकेशन ट्रैक करने के लिए किया जाता है. 

कैसे काम करता है जीपीएस ट्रैकर: 

  • जीपीएस ट्रैकर को सबसे पहले सिग्नल मिलते हैं. ट्रैकर का बिल्ट-इन GPS रिसीवर कई GNSS सैटेलाइट से सिग्नल लेता है.

  • इसके बाद वो उस जगह को कैलकुलेट करता है. करीब चार सैटेलाइट से सिग्नल की टाइमिंग तक, ट्रायंगुलेशन नाम का प्रोसेस, उस सटीक जगह को कैलकुलेट करता है. 

  • इसके बाद डिवाइस इस लोकेशन डाटा को सेलुलर, रेडियो या सैटेलाइट मॉडेम का इस्तेमाल करके एक सेंट्रल सर्वर या कनेक्टेड डिवाइस पर भेजता है.

  • इसके बाद कंप्यूटर या मोबाइल ऐप के जरिए लोकेशन को ट्रैक किया जा सकता है.