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India Daily

'इडियट' सर्च करने पर डोनाल्ड ट्रंप की तस्वीर दिखा रहा गूगल, बवाल मचने पर सीईओ सुंदर पिचाई ने दी सफाई

गूगल पर इडियट शब्द सर्च करने पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तस्वीरें दिखने से विवाद खड़ा हो गया है. गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने इस पर अपनी सफाई दी है.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
donald Trump Idiot on google
Courtesy: x

 Donald Trump: हाल ही में गूगल सर्च ने एक अनोखा विवाद जन्म दिया, जब "इडियट" शब्द टाइप करने पर डोनाल्ड ट्रंप की तस्वीरें सामने आने लगीं. इसने तकनीकी और राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी. क्या यह गूगल का पक्षपात था या कुछ और? सुंदर पिचाई ने इसे एल्गोरिदम की स्वचालित प्रक्रिया का परिणाम बताया, जो यूजर व्यवहार पर निर्भर करती है. यह खबर न केवल तकनीक की कार्यप्रणाली को समझाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे ऑनलाइन यूजर्स सर्च परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं.

गूगल का एल्गोरिदम कैसे काम करता है

गूगल का सर्च एल्गोरिदम 200 से अधिक कारकों पर आधारित है, जैसे प्रासंगिकता, लोकप्रियता और यूजर की गतिविधियां. पिचाई के मुताबिक, कोई भी कर्मचारी मैन्युअल रूप से परिणामों को नियंत्रित नहीं करता. यह सिस्टम स्वचालित रूप से वेब पर मौजूद सामग्री और कीवर्ड्स के बीच संबंधों को विश्लेषित करता है. जब लाखों यूजर किसी शब्द को किसी खास व्यक्ति या चित्र से जोड़ते हैं, तो एल्गोरिदम उसे प्राथमिकता देता है. इस मामले में, ट्रंप की तस्वीरों को "इडियट" से जोड़ने की ऑनलाइन गतिविधि ने परिणामों को प्रभावित किया.

गूगल बमिंग बना वजह

इस घटना का मुख्य कारण "गूगल बमिंग" है, जिसमें ऑनलाइन समुदाय जानबूझकर किसी शब्द को किसी व्यक्ति या चित्र से जोड़ते हैं. रेडिट जैसे मंचों पर लोगों ने ट्रंप की तस्वीरों को "इडियट" शब्द के साथ बार-बार लिंक किया, जिससे एल्गोरिदम ने इसे प्रासंगिक मान लिया. यह तकनीक पहले भी देखी गई है, जैसे जब "मिजरेबल फेल्यर" सर्च करने पर जॉर्ज डब्ल्यू बुश की तस्वीरें दिखती थीं. यह यूजर व्यवहार की ताकत को दर्शाता है.

गूगल दो देनी पड़ी सफाई

ट्रंप ने गूगल पर पक्षपात का आरोप लगाया, लेकिन जांच में कोई साजिश नहीं पाई गई. पिचाई ने कहा कि सर्च परिणाम कंपनी की मंशा से नहीं, बल्कि यूजर की गतिविधियों से बनते हैं. गूगल की नीति है कि वह तटस्थ रहकर केवल वेब की सामग्री को दर्शाता है. इस घटना ने तकनीकी कंपनियों पर राजनीतिक दबाव और उनकी निष्पक्षता पर सवाल उठाए.