Cyber Fraud Cases: साइबर फ्रॉड के मामले इतने ज्यादा बढ़ चुके हैं कि इन्हें रोकना कई बार नामुमकिन साबित हो जाता है. ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि एक रिपोर्ट रह रही है. एम्स साइबर हमले से लेकर आईसीएमआर डाटा लीक और लोन देने वाले ऐप्स तक, हर जगह फ्रॉड के मामले सामने आए हैं. नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल (NCRP) को 2020 से फरवरी 2024 तक साइबर क्रइम की करीब 31 लाख शिकायतें मिली हैं. लेकिन इनकी गिरफ्तारियों की संख्या बेहद ही कम है.
साइबर फ्रॉड केस में सॉल्यूशन की धीमी स्पीड: सरकारी डाटा के अनुसार, साइबर स्कैम के जितने मामले दर्ज किए गए हैं उनमें से 1 फीसदी भी गिरफ्तारियां नहीं हुई हैं. इससे यह पता चलता है कि साइबर स्कैम के कुल मामले या FIR 66,000 से ज्यादा हैं, लेकिन इस वर्ष तक केवल 500 लोग ही गिरफ्तार किए गए हैं जो कि 1 फीसदी से भी कम है.
यह मामला गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय की अलग-अलग बैठकों में उठाया जा चुका है. कई अधिकारियों ने लोन देने वाली ऐप्स के बारे में चिंता जताई है जो लोगों को बुरी तरह से लूट रहा है और लोगों की आर्थिक रूप से मजबूर बना रहा है. इस मामले को लेकर एक अधिकारी का कहना है कि इन साइबर स्कैम के पीछे जो लोग हैं उन्हें गिरफ्तार करना बड़ी चुनौती बन जाता है. जिन लोगों की सैलरी या आय कम है उन्हें ज्यादातर जाल में फंसाया जाता है और इनसे चुराया हुआ पै सा बड़ी मात्रा में दूसरे देशों में ट्रांसफर किया जाता है.
हाल ही में, केंद्र सरकार ने कई टेक कंपनियों से इस तरह के खतरे पर रोक लगाने को कहा था. सरकार ने Google, मेटा जैसी कंपनियों से इस तरह के मामले को हाई-प्रायोरिटी देने का आग्रह किया है. कुछ ही समय पहले केंद्रीय साइबर एजेंसी ने एक एनालिसिस किया था जिसमें कई मोबाइल एप्लिकेशन मेटा प्लेटफॉर्म के जरिए विज्ञापन चला रहे थे. भारत में पहले से ही इस तरह की अवैध ऐ प्स मौजूद हैं जो लोगों से पैसा लूटकर उन्हें आत्महत्या करने पर मजबूर कर देती हैं. ऐसे में ऐप परमीशन्स का गलत इस्तेमाल किया जाना यूजर्स की समस्या और बढ़ा सकता है. यह यूजर की सारी जानकारी चुरा लेता है.
सूत्रों के मुताबिक, इस मामलो के लेकर गृह मंत्रालय को सारी जानकारी दी गई है और मंत्रालय जांच और गिरफ्तारी की स्पीड बढ़ाने के सॉल्यूशन पर काम कर रहा है.