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'नस्लीय हिंसा के सबूत नहीं', देहरादून में त्रिपुरा के छात्र की हत्या के मामले में पुलिस के बयान से आया नया मोड़

देहरादून में त्रिपुरा के छात्र एंजेल चकमा की मौत को लेकर पुलिस ने नस्लीय हमले के आरोपों से इनकार किया है. जांच के मुताबिक शराब की दुकान पर हुए विवाद ने हिंसक रूप लिया.

Kanhaiya Kumar Jha
'नस्लीय हिंसा के सबूत नहीं', देहरादून में त्रिपुरा के छात्र की हत्या के मामले में पुलिस के बयान से आया नया मोड़
Courtesy: Social Media

देहरादून: देहरादून में 24 वर्षीय त्रिपुरा के छात्र एंजेल चकमा की मौत के बाद यह मामला राष्ट्रीय बहस का विषय बन गया है. सोशल मीडिया और राजनीतिक हलकों में इसे नस्लीय हमले से जोड़कर देखा जा रहा था. हालांकि उत्तराखंड पुलिस ने अपनी शुरुआती जांच में कहा है कि अब तक ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं मिला है, जिससे यह साबित हो कि हत्या नस्लीय भेदभाव की वजह से हुई. पुलिस का कहना है कि यह एक आपसी विवाद का मामला था.

उत्तराखंड पुलिस के जांच अधिकारी पीडी भट्ट ने स्पष्ट किया है कि इस स्तर पर नस्लीय टिप्पणी या नस्लवाद के आरोप निराधार हैं. उन्होंने कहा कि अब तक की जांच में ऐसा कोई प्रमाण सामने नहीं आया है, जो इस घटना को नस्लीय हमले से जोड़े. पुलिस के अनुसार मामले की जांच तथ्यों और सबूतों के आधार पर की जा रही है, न कि सार्वजनिक दबाव या सोशल मीडिया चर्चाओं के आधार पर.

शराब की दुकान पर कैसे शुरू हुआ विवाद?

पुलिस ने बताया कि यह घटना एक शराब की दुकान के पास हुई. आरोपी सूरज, जो मणिपुर का रहने वाला है, वहां अपने बेटे का जन्मदिन मना रहा था. उसी समय एंजेल चकमा और उसका भाई माइकल भी वहां शराब खरीदने पहुंचे थे. दोनों पक्षों के बीच किसी बात को लेकर बहस शुरू हुई, जो धीरे-धीरे हिंसक झड़प में बदल गई. इसी दौरान चकमा गंभीर रूप से घायल हो गया.

भाई का आरोप और अलग दावा

मृतक के भाई माइकल ने पुलिस को बताया कि वे 9 दिसंबर को किराने का सामान लेने निकले थे. उनके अनुसार नशे में धुत लोगों के एक समूह ने झगड़ा शुरू किया, नस्लीय टिप्पणियां कीं और चाकू से हमला किया. घायल एंजेल को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां कई दिनों तक इलाज के बाद 26 दिसंबर को उसकी मौत हो गई. माइकल का दावा पुलिस के संस्करण से अलग नजर आता है.

आरोपी, गिरफ्तारी और फरार संदिग्ध

पुलिस ने अब तक छह में से पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इनमें से दो नाबालिग बताए जा रहे हैं. एक आरोपी अब भी फरार है, जो नेपाल का निवासी है. पुलिस का कहना है कि उसकी तलाश के लिए टीमें नेपाल भेजी गई हैं. गिरफ्तार आरोपियों का दावा है कि चाकू से हमला फरार आरोपी ने किया था, जिसकी पुष्टि उसकी गिरफ्तारी के बाद ही हो सकेगी.

आगे की जांच और सवाल

पुलिस ने बताया कि फिलहाल किसी भी आरोपी का आपराधिक रिकॉर्ड सामने नहीं आया है. मामले की गहराई से पड़ताल की जा रही है. यह मामला अब सिर्फ एक आपराधिक जांच नहीं, बल्कि सामाजिक संवेदनशीलता से जुड़ा मुद्दा बन गया है. आने वाले दिनों में जांच के नतीजे तय करेंगे कि यह हत्या आपसी विवाद थी या इसके पीछे कोई गहरी वजह छिपी है.