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कैंडिडेट्स की बदतमीजी, विपक्ष का नैरेटिव, अफसरों की मनमर्जी... स्पेशल 40 की रिपोर्ट में UP BJP की हार के क्या-क्या कारण?

Special 40 Report: जून की शुरुआत में जब लोकसभा चुनाव के नतीजे सामने आए, तो परिणाम भाजपा की उम्मीदों के मुताबिक नहीं थे. देशभर में 400 पार का लक्ष्य तो पूरा नहीं ही हुआ, साथ ही यूपी में भी सभी 80 सीटों पर जीत दर्ज करने का सपना टूट गया. भाजपा को यूपी की 80 में से 33 सीटों पर जीत हासिल हुई. हार के कारणों की समीक्षा के लिए भाजपा ने स्पेशल 40 की टीम बनाई थी, जिसने अपनी रिपोर्ट सब्मिट कर दी है.

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Edited By: India Daily Live
Bjp Special 40 report
Courtesy: Social Media

Special 40 Report: लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा की करारी हार की समीक्षा के लिए 'स्पेशल 40' नाम से एक टीम बनाई गई थी. टीम ने हार के कारणों के बारे में जानकारी जुटाते हुए पार्टी आलाकमान को रिपोर्ट सौंप दी है. कहा जा रहा है कि 29 और 30 जून को होने वाली राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक में हार के कारणों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी. फिलहाल, यूपी में भाजपा की हार की जो वजहें सामने आई हैं, उनमें प्रत्याशी की बदतमीजी, अधिकारियों की कार्यप्रणाली को मुख्य तौर पर जिम्मेदार बताया गया है.   

भाजपा की ओर से गठित की गई 'स्पेशल 40' की टीम ने उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों पर जाकर ये रिपोर्ट तैयार की है, जिसे पार्टी मुख्यालय को सौंप दी गई है. सूत्रों के मुताबिक, हार के कारणों में विपक्ष के नैरेटिव को भी महत्वपूर्ण बताया गया है, जिसमें विपक्ष ने भाजपा पर आरक्षण को खत्म करने का आरोप लगाया था. 

इसके अलावा, स्पेशल 40 की रिपोर्ट में हार के कारणों के बारे में बात करते हुए बताया गया है कि 80 लोकसभा सीटों पर उतारे गए कुछ प्रत्याशियों का व्यवहार ठीक नहीं था, जिससे कार्यकर्ताओं और मतदाताओं में असंतुष्टि का भाव था. इसके अलावा राज्य के जिलों मेें तैनात अफसरों की कार्यप्रणाली भी ठीक नहीं थी, जिससे आम जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ता था. 

प्रत्याशियों की बदतमीजी की वजह से फील्ड में नहीं जाते थे कार्यकर्ता

सूत्रों के मुताबिक, सील बंद रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि कई प्रत्याशियों की बदतमीजी की वजह से पार्टी के कार्यकर्ता फील्ड में जाते ही नहीं थे. कई सीटों पर स्थानीय कार्यकर्ताओं, नेताओं और प्रत्याशियों में कोई तालमेल नहीं था. कई प्रत्याशियों का तो व्यवहार इतना बुरा था कि वे अपने ही कार्यकर्ताओं से ठीक से बात नहीं करते थे. 

रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि एक प्रत्याशी तो कार्यकर्ताओं से सिर्फ अंग्रेजी में ही बात करते थे, जो कार्यकर्ताओं को बिलकुल नहीं समझ आता था. यानी कार्यकर्ताओं और प्रत्याशियों के बीच संवाद का भी आभाव था. इसके अलावा ये भी दावा किया गया है कि कुछ प्रत्याशियों ने कार्यकर्ताओं को खर्च भी नहीं दिया, जिससे वे जनता के बीच जाने से कतराने लगे. 

पूर्वांचल और अवध के प्रत्याशियों की ज्यादा शिकायतें

स्पेशल 40 की रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्वांचल और अवध में सबसे ज्यादा खराब व्यवहार वाले प्रत्याशी थे. इन क्षेत्रों में प्रत्याशी बिलकुल भी कार्यकर्ताओं को भाव नहीं देते थे. प्रत्याशी न तो ठीक से व्यवहार करते थे और न ही उनके किसी बातों पर ध्यान देते थे. प्रत्याशी सबकुछ अपनी मर्जी से ही करते थे और ग्राउंड पर पहले से एक्टिव कार्यकर्ताओं की बातों को नजरअंदाज कर देते थे.

इन सवालों के जवाब तलाश रही थी 'स्पेशल 40' टीम

चुनाव में ग्राउंड लेवल पर कार्यकर्ता कितने एक्टिव थे?
कार्यकर्ता अगर एक्टिव नहीं थे, तो उसका कारण क्या था?
राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं और फैसलों का कितना असर था?
राज्य सरकार और सरकारी अफसरों के कामकाज के तरीकों से जनता कितनी खुश थी?
संगठन, कैंडिडेट्स और कार्यकर्ताओं के बीच कैसा तालमेल था?
बूथ मैनेजमेंट कैसा था?
आखिर विपक्ष को किन मुद्दों पर फायदा पहुंचा?