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दिल्ली ब्लास्ट केस का लखनऊ कनेक्शन, बहन की गिरफ्तारी से पहले प्रोफेसर भाई का इस्तीफा, जांच शुरू

दिल्ली ब्लास्ट केस में अब एक और अहम जानकारी सामने आ रही है. रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मामले में गिरफ्तार डॉ. शाहीन शहीद के भाई ने घटना से महज 4 दिन पहले  लखनऊ के एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से इस्तीफा सौंपा था, जिससे शक गहरा गया है.

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Edited By: Kanhaiya Kumar Jha
Delhi Blast Case India Daily
Courtesy: Social Media

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय का नाम फिर से चर्चा में है, क्योंकि जांच एजेंसियां वहां के सहायक प्रोफेसर डॉ. परवेज सईद अंसारी की अचानक हुई गतिविधियों और उनके संभावित आतंकी संबंधों की गहराई से जांच कर रही हैं. 

6 नवंबर को उन्होंने ईमेल के जरिए अपना इस्तीफा भेजा था, और इसी कदम ने आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) को उनके बारे में संदेह करने पर मजबूर कर दिया. खास बात यह है कि यह इस्तीफा उनकी बहन की गिरफ्तारी और दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके से ठीक चार दिन पहले दिया गया था.

ATS ने मांगा 60–70 कश्मीरी छात्रों का पूरा रिकॉर्ड

सूत्र बताते हैं कि एटीएस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस्तीफा वास्तव में उन्होंने भेजा था या किसी और ने उनकी ईमेल आईडी का उपयोग किया. यह भी जांच हो रही है कि उन्होंने सिर्फ ईमेल के माध्यम से इस्तीफा क्यों दिया और क्या विश्वविद्यालय प्रशासन ने बाद में उनसे संपर्क करने की कोई कोशिश की. इसी सिलसिले में एटीएस ने विश्वविद्यालय से 60–70 कश्मीरी छात्रों का पूरा रिकॉर्ड मांगा है, जिसमें मेडिकल विभाग के छात्र भी शामिल हैं.

जांच एजेंसियों को शक है कि डॉ. परवेज कुछ कश्मीरी छात्रों को प्रभावित कर स्लीपर सेल नेटवर्क बनाने की कोशिश कर रहे थे. छात्रों ने उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के रूप में बताया है जो आमतौर पर कम बोलता था, लेकिन कश्मीर से आए छात्रों के साथ उसका विशेष जुड़ाव था.

वाहन और डिजिटल उपकरणों से मिले कई महत्वपूर्ण सुराग

डॉ. परवेज के घर, वाहन और डिजिटल उपकरणों से कई महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं. इन्हीं सूचनाओं के आधार पर एटीएस और जम्मू-कश्मीर पुलिस की टीम ने लालबाग स्थित उनके पैतृक घर पर छापेमारी की और उनके पिता सईद अंसारी से पूछताछ की. इससे एक दिन पहले, 10 नवंबर को, फरीदाबाद से उनकी बहन डॉ. शाहीन शाहिद को गिरफ्तार किया गया था. वह जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े एक आतंकी मॉड्यूल की करीबी सहयोगी बताई जाती हैं. उनकी कार से AK-47, पिस्तौल और कारतूस बरामद हुए थे.

11 नवंबर को, लाल किला विस्फोट के ठीक अगले दिन, एटीएस ने लखनऊ के मड़ियांव स्थित उनके घर पर छापा मारा. घर बंद था, इसलिए टीम को उसे तोड़कर तलाशी लेनी पड़ी. तलाशी में विश्वविद्यालय से जुड़े दस्तावेज, छात्रों के संपर्क रिकॉर्ड और कई डिजिटल डिवाइस मिले जिनसे उनके बढ़ते संपर्कों के बारे में अहम जानकारी जुटाई गई.

डॉ. परवेज के दूसरे घर से छह मोबाइल फोन, तीन चाकू, एक अंतरराष्ट्रीय कॉलिंग कार्ड और अन्य उपकरण मिले. जांचकर्ताओं के अनुसार, मोबाइल का इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर में उनके संपर्कों से बातचीत के लिए होता था और कॉलिंग कार्ड का उपयोग विदेश में बैठे संचालकों से बात करने के लिए किया जाता था. एटीएस का दावा है कि उन्होंने कॉल ट्रैकिंग से बचने के लिए एक खास तकनीकी तरीका भी विकसित किया था.

एक कंप्यूटर भी बरामद किया गया जिसमें एक गुप्त डिस्क लगी हुई थी और माना जा रहा है कि उसमें कई अहम सबूत मौजूद हैं. पता चला कि डॉ. परवेज ने लखनऊ के एरा मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस और आगरा मेडिकल कॉलेज से एमडी किया था. 2021 में वे इंटीग्रल यूनिवर्सिटी में शामिल हुए. पड़ोसी बताते हैं कि वे बहुत कम बोलने वाले इंसान थे और सामाजिक तौर पर काफी अलग-थलग रहते थे.

क्या कहकर दिया था इस्तीफा?

7 नवंबर को भेजे गए इस्तीफे में उन्होंने दावा किया था कि उन्हें किसी दूसरे कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर की नौकरी मिल गई है, लेकिन वे अपना सामान लेने तक वापस नहीं लौटे. जांचकर्ताओं को शक है कि अनंतनाग के डॉक्टर अदील अहमद राठेर की गिरफ्तारी की सूचना मिलते ही वे फरार हो गए. अदील भी फरीदाबाद मॉड्यूल का अहम सदस्य था.

पूछताछ में डॉ. परवेज ने दो और संदिग्धों तमीम कासिम और ताज के नाम बताए हैं. अभी वे और उनकी बहन शाहीन शाहिद दोनों हिरासत में हैं, जबकि एटीएस और जम्मू-कश्मीर पुलिस लाल किला विस्फोट और बड़े 'सफेदपोश आतंकी नेटवर्क' की जांच संयुक्त रूप से जारी रखे हुए हैं.