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India Daily

Mahakumbh 2025: महाकुंभ मेला में स्कॉर्पियो वाले बाबा की धूम, श्रद्धालुओं के बीच आशीर्वाद और सेल्फी लेने की मची होड़

महाकुंभ 2025 में स्कॉर्पियो वाले बाबा यानी कुशमुनि जी अपने अनोखे अंदाज से चर्चा में है. वे स्कॉर्पियो के ऊपर बैठकर चश्मा लगाए श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दे रहे हैं. उनका यह खास अंदाज आकर्षण का केंद्र बना हुआ है और लोग उनसे आशीर्वाद लेने और सेल्फी खिंचवाने के लिए उमड़ रहे हैं.

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Edited By: Princy Sharma
Mahakumbh Scorpio Baba
Courtesy: Social Media

Mahakumbh Scorpio Baba: महाकुंभ 2025 में इन दिनों एक से एक अनोखे बाबा और नागा साधुओं का जमावड़ा देखने को मिल रहा है. इनमें से एक साधु हैं स्कॉर्पियो वाले बाबा, जिनका अलग अंदाज और स्टाइल लोगों का ध्यान खींच रहा है. हर साल की तरह इस बार भी संगम तट पर लाखों श्रद्धालु कुंभ स्नान के लिए पहुंच रहे हैं और इस बार श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं कुछ अजीबोगरीब साधु. उनमें से एक साधु हैं कुशमुनि जी, जिन्हें लोग स्कॉर्पियो वाले बाबा के नाम से जानते हैं.

कुशमुनि जी का अंदाज बाकी साधुओं से बिल्कुल अलग है. वे स्कॉर्पियो के ऊपर बैठकर श्रद्धालुओं का आशीर्वाद दे रहे हैं और साथ ही चश्मा लगाए हुए नजर आ रहे हैं. उनके साथ लोग सेल्फी लेने के लिए भी भीड़ लगा रहे हैं. बाबा जय श्री राम के नारे लगाते हुए हर भक्त को आशीर्वाद दे रहे हैं.

बाबा का अनोखा स्टाइल

उनका अनोखा स्टाइल और पहुंचने का तरीका उन्हें बाकी साधुओं से अलग बनाता है, जिससे वे हर किसी के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. कुशमुनि जी का अंदाज और आस्था दोनों ही श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहे हैं. वे मानते हैं कि आस्था और तपस्या से जीवन में शांति और सुख मिलता है और इस महाकुंभ में उनका यही संदेश है.

Mahakumbh Scorpio Baba
Mahakumbh Scorpio Baba Social Media

स्कॉर्पियो वाले बाबा का अंदाज

महाकुंभ 2025 में ऐसे अनेकों साधु और संत आ रहे हैं जो अपने अनोखे रूप और कार्यों से लोगों को प्रभावित कर रहे हैं. इस बार के महाकुंभ में स्कॉर्पियो वाले बाबा का अंदाज खास चर्चा का विषय बन गया है. 

कब तक चलेगा महाकुंभ मेला

महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का एक बड़ा धार्मिक उत्सव है, जो हर 12 साल में प्रयागराज, भारत में आयोजित होता है. महाकुंभ 2025 का आयोजन 13 जनवरी से शुरू हुआ है और यह 26 फरवरी 2025 तक चलेगा. इस मेले में करीब 40 करोड़ (400 मिलियन) लोगों के आने की उम्मीद है, जिससे यह दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन बन गया है. 

इस उत्सव की जड़ें हिंदू पौराणिक कथाओं में हैं। यह देवताओं की राक्षसों पर जीत का प्रतीक है. श्रद्धालु मानते हैं कि गंगा, यमुना और कल्पित सरस्वती नदी के संगम पर स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.