Monsoon Session Begins Today: उत्तर प्रदेश विधानसभा का चार दिवसीय मानसून सेशन सोमवार, 11 अगस्त 2025 से शुरू हो रहा है. इस सेशन में ‘विजन डॉक्यूमेंट 2047’ पर 24 घंटे की विशेष मैराथन बहस होगी, जो 13 और 14 अगस्त को प्रस्तावित है. यह ऐतिहासिक चर्चा स्वतंत्रता दिवस से पहले राज्य के समग्र विकास के लिए दिशा-निर्देश तय करेगी. रविवार को विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में यह फैसला लिया गया.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सर्वदलीय बैठक में कहा, 'उत्तर प्रदेश पहली विधानसभा होगी जो ‘विजन डॉक्यूमेंट 2047’ पर चर्चा करेगी, जिसमें सभी दलों के सुझाव शामिल होंगे.' उन्होंने जोर देकर कहा कि यह चर्चा 'किसी राजनीतिक दल का एजेंडा नहीं, बल्कि राज्य के भविष्य के लिए एक साझा योजना होगी.' संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया, 'यह चर्चा पूरे प्रदेश के भविष्य को दिशा प्रदान करेगी. मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि इससे राज्य उत्तम प्रदेश बनेगा.' यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य से प्रेरित है.
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने सेशन के सुचारू संचालन के लिए सभी दलों से सहयोग मांगा. उन्होंने कहा, 'संसदीय प्रणाली में संवाद और सकारात्मक चर्चा से ही लोकतंत्र मजबूत होता है. देश की सबसे बड़ी विधानसभा होने के नाते, यहां की कार्यवाही दूसरे विधानसभाओं के लिए एक मिसाल कायम करती है.' बैठक में समाजवादी पार्टी के माता प्रसाद पांडेय, संजय निषाद, ओम प्रकाश राजभर, कांग्रेस की आराधना मिश्रा, बसपा के उमाशंकर सिंह और निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह मौजूद थे.
विपक्षी दलों ने सेशन के समय और सरकार के रवैये पर सवाल उठाए. समाजवादी पार्टी के संग्राम यादव ने कहा, 'चार दिवसीय सेशन महज एक औपचारिकता है. समाजवादी पार्टी के विधायक और हमारे गठबंधन सहयोगी दिए गए समय में सदन में सभी महत्वपूर्ण मुद्दों को जोरदार तरीके से उठाने की पूरी कोशिश करेंगे.'
सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा ने तंज कसते हुए कहा, 'यह सरकार 2047 के लिए एक विजन डॉक्यूमेंट ला रही है. सच तो यह है कि वे 2029 में केंद्र की सत्ता खो देंगे. बेरोजगारी, महंगाई, किसानों की परेशानी और बिजली की समस्या जैसे मुद्दों पर सरकार जवाब देने में नाकाम रही है.'
कांग्रेस विधायक दल की नेता आराधना मिश्रा ने कहा, 'राज्य और लोगों को प्रभावित करने वाले विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए कम से कम 10 दिनों की आवश्यकता है. लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा है कि बहुमत में होने के बावजूद भाजपा सरकार चर्चा से क्यों कतरा रही है.' विपक्ष स्कूलों के विलय, कानून-व्यवस्था, बाढ़, बेरोजगारी और महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी में है.