Krishna Janmashtami 2025: 16 अगस्त को भारत देश में मथुरा-वृंदावन में धूमधाम से जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा. दुनिया के सबसे जीवंत कृष्ण उत्सवों में से एक का साक्षी बनने के लिए हजारों श्रद्धालु उमड़ेंगे. मथुरा की सजी-धजी गलियों से लेकर वृंदावन के फूलों से सजे मंदिरों तक, वातावरण मंत्रोच्चार, भजनों और भक्ति से सराबोर होगा.
सबसे ज्यादा इंतजार प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में होने वाली मंगला आरती का होता है, जो साल में सिर्फ एक बा जो ठीक आधी रात को होती है. इस साल के कार्यक्रम में देर रात से शुरू होने वाले विशेष अनुष्ठानों की एक श्रृंखला शामिल है. जिसके बाद कृष्ण के 'जन्म' दर्शन, अभिषेक और आरती होती है जो इस अवसर को आगंतुकों और स्थानीय लोगों, दोनों के लिए एक आध्यात्मिक आकर्षण बना देती है.
रात 11:00 बजे: गणपति और नवग्रह पूजा
रात 11:55 बजे: पुष्प और तुलसी से सहस्र-अर्चना
रात 11:59 बजे: प्रथम दर्शन के लिए मंदिर के पट खुलेंगे
रात 12:00-12:10 बजे: प्राकट्य दर्शन और आरती
रात 12:10-12:25 बजे: दूध, दही, घी और शहद से महाभिषेक
रात 12:25-12:40 बजे: ठाकुर जी का जन्माभिषेक
रात 12:45-12:50 बजे: श्रृंगार आरती (वस्त्र धारण करने की रस्म)
रात 1:55-2:00 बजे: शयन आरती (विश्राम की रस्म)
बांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी के दिन वर्ष में केवल एक बार मंगला आरती की जाती है. 2025 में, यह मध्य रात्रि के ठीक बाद होगी, जिसमें दर्शन लगभग 12 बजे शुरू होकर सुबह 6 बजे तक चलेंगे. मंगला आरती लगभग 3:30 बजे सुबह होती है, जिसके बाद दर्शन समाप्त होने से पहले सुबह 5 बजे बिहारीजी को भोग लगाया जाता है.
त्योहार से पहले के दिनों में, भक्त साधारण प्रसाद, भजन और भक्ति गीतों के साथ तैयारी करते हैं. मंदिरों को फूलों, रोशनियों और रंग-बिरंगे कपड़ों से सजाया जाता है जबकि सड़कें भक्तिमय प्रदर्शनों और कृष्ण की लीलाओं को दर्शाती झांकियों से जीवंत हो उठती हैं.
मथुरा में भी माहौल उतना ही उत्साहपूर्ण होता है, जहां लाखों लोग कृष्ण जन्मभूमि, द्वारकाधीश, इस्कॉन और बांके बिहारी मंदिरों में उपवास, मध्यरात्रि पूजा और आरती के लिए आते हैं. पूरी रात आनंद, भक्ति और आध्यात्मिक जुड़ाव से भरी रहती है.