उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में अवैध धर्मांतरण के एक बड़े रैकेट का खुलासा हुआ है, जिसकी जड़ें अब अंतरराष्ट्रीय स्तर तक फैलती दिख रही हैं. छांगुर बाबा उर्फ जमालुद्दीन के नेतृत्व में चल रहे इस गिरोह को संयुक्त अरब अमीरात (UAE), तुर्की, कनाडा, अमेरिका, यूके और खाड़ी देशों से भारी मात्रा में फंडिंग मिलने के प्रमाण प्रवर्तन निदेशालय (ED) और अन्य केंद्रीय एजेंसियों की जांच में सामने आए हैं.
जांच में खुलासा हुआ है कि यह गिरोह महिलाओं और नाबालिगों को बहला-फुसलाकर या जबरन इस्लाम कबूल करवाने का काम कर रहा था. खास तौर पर भारत-नेपाल सीमा से सटे इलाकों को धर्मांतरण का गढ़ बनाने की कोशिश की जा रही थी. ईडी ने बलरामपुर, मुंबई के बांद्रा और माहिम समेत 14 ठिकानों पर छापेमारी की. इस दौरान शहजाद शेख नाम के व्यक्ति के बैंक खाते में 2 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेन-देन का पता चला है, जो छांगुर का सहयोगी बताया जा रहा है.
इस रैकेट की जड़ें भगोड़े इस्लामिक प्रचारक जाकिर नाईक और उसकी संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (IRF) तक पहुंचती दिखाई दे रही हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2003 से 2017 के बीच IRF को खाड़ी देशों से 64 करोड़ रुपये की फंडिंग मिली थी, जिसे भारत में कट्टरपंथी विचार फैलाने और संपत्तियां खरीदने में इस्तेमाल किया गया.
ईडी की जांच में यह भी सामने आया है कि छांगुर गिरोह का नेटवर्क प्रतिबंधित संगठनों सिमी (SIMI) और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से भी जुड़ा हुआ था. खासकर पीएफआई के वो सदस्य, जो पहले सिमी से जुड़े थे, वही मध्य-पूर्व के देशों से फंड जुटाकर देश में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे थे.
आयकर विभाग की विस्तृत रिपोर्ट फरवरी 2025 में गृह मंत्रालय को सौंपी गई थी. इस रिपोर्ट में भारत-नेपाल सीमा पर कट्टरपंथी गतिविधियों में विदेशी फंडिंग के ज़रिए तेजी लाने की बात कही गई थी. अब इसी रिपोर्ट के आधार पर पूरे नेटवर्क को खत्म करने की कार्रवाई तेज़ हो चुकी है.