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India Daily

UP में चल रहा था धर्मांतरण का बड़ा खेल, भगोड़े जाकिर नाइक का छांगुर से सामने आया कनेक्शन, ED का खुलासा

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में छांगुर बाबा उर्फ जमालुद्दीन द्वारा संचालित धर्मांतरण रैकेट का खुलासा हुआ है, जिसमें विदेशी फंडिंग के जरिए महिलाओं और नाबालिगों का जबरन इस्लाम में धर्मांतरण कराया जा रहा था. जांच में भगोड़े जाकिर नाईक और उसकी संस्था IRF की भूमिका संदिग्ध पाई गई है, जिसे 64 करोड़ की विदेशी फंडिंग मिली थी.

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Edited By: Yogita Tyagi
The strings of conversion gang are getting connected to Zakir Naik

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में अवैध धर्मांतरण के एक बड़े रैकेट का खुलासा हुआ है, जिसकी जड़ें अब अंतरराष्ट्रीय स्तर तक फैलती दिख रही हैं. छांगुर बाबा उर्फ जमालुद्दीन के नेतृत्व में चल रहे इस गिरोह को संयुक्त अरब अमीरात (UAE), तुर्की, कनाडा, अमेरिका, यूके और खाड़ी देशों से भारी मात्रा में फंडिंग मिलने के प्रमाण प्रवर्तन निदेशालय (ED) और अन्य केंद्रीय एजेंसियों की जांच में सामने आए हैं.

जांच में खुलासा हुआ है कि यह गिरोह महिलाओं और नाबालिगों को बहला-फुसलाकर या जबरन इस्लाम कबूल करवाने का काम कर रहा था. खास तौर पर भारत-नेपाल सीमा से सटे इलाकों को धर्मांतरण का गढ़ बनाने की कोशिश की जा रही थी. ईडी ने बलरामपुर, मुंबई के बांद्रा और माहिम समेत 14 ठिकानों पर छापेमारी की. इस दौरान शहजाद शेख नाम के व्यक्ति के बैंक खाते में 2 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेन-देन का पता चला है, जो छांगुर का सहयोगी बताया जा रहा है.

ये रैकेट भगोड़े जाकिर नाईक से जुड़ा हुआ 

इस रैकेट की जड़ें भगोड़े इस्लामिक प्रचारक जाकिर नाईक और उसकी संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (IRF) तक पहुंचती दिखाई दे रही हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2003 से 2017 के बीच IRF को खाड़ी देशों से 64 करोड़ रुपये की फंडिंग मिली थी, जिसे भारत में कट्टरपंथी विचार फैलाने और संपत्तियां खरीदने में इस्तेमाल किया गया.

ED की जांच में क्या आया सामने? 

ईडी की जांच में यह भी सामने आया है कि छांगुर गिरोह का नेटवर्क प्रतिबंधित संगठनों सिमी (SIMI) और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से भी जुड़ा हुआ था. खासकर पीएफआई के वो सदस्य, जो पहले सिमी से जुड़े थे, वही मध्य-पूर्व के देशों से फंड जुटाकर देश में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे थे.

आयकर विभाग की रिपोर्ट से हुआ खुलासा  

आयकर विभाग की विस्तृत रिपोर्ट फरवरी 2025 में गृह मंत्रालय को सौंपी गई थी. इस रिपोर्ट में भारत-नेपाल सीमा पर कट्टरपंथी गतिविधियों में विदेशी फंडिंग के ज़रिए तेजी लाने की बात कही गई थी. अब इसी रिपोर्ट के आधार पर पूरे नेटवर्क को खत्म करने की कार्रवाई तेज़ हो चुकी है.