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यूपी में SIR की समय सीमा बढ़ी..., अब 6 जनवरी को होगा ड्राफ्ट रोल प्रकाशित, जानें तारीख में क्यों हुआ बदलाव

उत्तर प्रदेश में SIR की समय सीमा बढ़ा दी गई है, ताजा अपडेट के मुताबिक अब 6 जनवरी को ड्राफ्ट रोल प्रकाशित होगा.

Ashutosh Rai
Edited By: Ashutosh Rai
यूपी में SIR की समय सीमा बढ़ी..., अब 6 जनवरी को होगा ड्राफ्ट रोल प्रकाशित, जानें तारीख में क्यों हुआ बदलाव
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उत्तर प्रदेश : उत्तर प्रदेश में SIR की समय सीमा बढ़ा दी गई है, ताजा अपडेट के मुताबिक अब 6 जनवरी को ड्राफ्ट रोल प्रकाशित होगा. बता दें कि जिन मतदाताओं के नाम ड्राफ्ट रोल में छूट जाएंगे, या उसमें किसी तरह के सुधार की जरूरत है वह 6 जनवरी से 6 फरवरी तक दावे और आपत्तियां दर्ज कर सकते हैं  वहीं उत्तर प्रदेश के लिए अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन 6 मार्च को होगा.

उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी का बयान

उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने बताया कि भारत निर्वाचन आयोग ने अर्हता तिथि 1 जनवरी, 2026 के आधार पर प्रदेश में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की घोषित तिथियों में संशोधन करते हुए नई तिथियां जारी कर दी.

संशोधित तिथि

संशोधित तिथियों के अनुसार, अब मतदाता सूची का आलेख्य प्रकाशन 6 जनवरी को किया जाएगा. दावे और आपत्तियां प्राप्त करने की अवधि 6 जनवरी से 6 फरवरी तक निर्धारित की गई है. उत्तर प्रदेश की मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन 6 मार्च, 2026 को किया जाएगा.

31 दिसंबर को जारी होनी थी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट

पहले जारी कार्यक्रम के अनुसार, 31 दिसंबर को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी होनी थी. ड्राफ्ट वोटर लिस्ट पर 31 दिसंबर से 30 जनवरी 2026 तक दावे व आपत्तियां ली जानी निर्धारित थी. वहीं 31 दिसंबर से लेकर 21 फरवरी 2026 तक नोटिस चरण में गणना प्रपत्रों पर निर्णय और दावों एवं आपत्तियों का निस्तारण किया जाना था, फिर 28 फरवरी 2026 को अंतिम मतदाता सूची जारी की जानी थी.

SIR प्रक्रिया को पूरा करने की पहली समय

बता दें कि SIR प्रक्रिया को पूरा करने की पहली समय सीमा 4 दिसंबर थी, लेकिन इसे दो बार बढ़ाया गया. इससे पहले जो जानकारी सामने आई थी उसके मुताबिक SIR अभियान में कुल 15.44 करोड़ मतदाताओं में से 2.89 करोड़ के नाम कटने अब तय हैं. यह कुल मतदाताओं का 18.70 प्रतिशत है.

इन जिलों में सबसे अधिक नाम कटे

इन जिलों में सबसे अधिक नाम कट रहे हैं उनमें लखनऊ, गाजियाबाद, प्रयागराज, कानपुर, आगरा व बरेली शामिल हैं. वहीं मतदाता सूची में दर्ज 1.11 करोड़ मतदाताओं के रिकार्ड नहीं मिल रहे. वर्ष 2003 की मतदाता सूची में न तो इनके और न ही इनके माता-पिता या दादा-दादी के नाम मिले हैं.

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