केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उत्तर रेलवे के चंदौसी खंड में कार्यरत सहायक मंडल इंजीनियर संजीव सक्सेना और उनके अधीनस्थ ट्रैकमैन आकाश को 34,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया. यह रिश्वत एक निजी ठेकेदार से 17.57 लाख रुपये से अधिक के लंबित बिलों को मंजूरी देने के लिए मांगी गई थी. सीबीआई ने शनिवार को जारी एक प्रेस नोट में बताया कि दोनों आरोपियों को शुक्रवार रात रंगे हाथों पकड़ा गया.
ठेकेदार की शिकायत पर कार्रवाई
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, शाहजहाँपुर की एक फर्म के मालिक देवेंद्र सिंह ने सीबीआई से शिकायत की थी कि संजीव सक्सेना और आकाश ने उनके लंबित बिलों को पास करने के लिए 2% कमीशन की माँग की. सिंह की फर्म को 19 जनवरी 2024 को मुरादाबाद डिवीजन, उत्तर रेलवे द्वारा रेलवे ट्रैक फिटिंग का टेंडर मिला था. शिकायत की पुष्टि के बाद, सीबीआई ने गाजियाबाद में अपनी भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) पुलिस स्टेशन में शुक्रवार को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया.
जाल बिछाकर CBI टीम ने की गिरफ्तारी
सीबीआई ने शिकायत के आधार पर एक जाल बिछाया, जिसके तहत दोनों आरोपियों को रिश्वत लेते समय पकड़ा गया. प्रेस नोट के अनुसार, “दोनों आरोपी शिकायतकर्ता से रिश्वत की राशि लेते समय पकड़े गए. रात भर पूछताछ के बाद, उन्हें शनिवार को औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया गया और गाजियाबाद की विशेष सीबीआई अदालत नंबर 1 के समक्ष पेश किया गया.” इस कार्रवाई ने रेलवे में व्याप्त भ्रष्टाचार पर सवाल उठाए हैं.
भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख
सीबीआई की इस कार्रवाई से यह स्पष्ट है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कदम उठाए जा रहे हैं. रेलवे जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में रिश्वतखोरी की घटनाएँ न केवल ठेकेदारों के लिए परेशानी का कारण बनती हैं, बल्कि जनहित में चल रही परियोजनाओं को भी प्रभावित करती हैं. इस मामले में आगे की जांच जारी है.