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India Daily

बनारस की 100 साल पुरानी ऐतिहासिक 'चाची की दुकान' पर चला प्रशासन का बुलडोजर, सोशल मीडिया पर भावुक लोग हुए

1915 में स्थापित चाची की दुकान न केवल खाने की जगह थी, बल्कि वाराणसी की सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न हिस्सा थी. इस दुकान पर रोज़ाना लोगों की कतारें लगती थीं, और इसके प्रशंसकों में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी और सपा सांसद डिंपल यादव जैसी हस्तियां शामिल थीं.

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Edited By: Garima Singh
Chachi ki Dukan
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Chachi ki Dukan: वाराणसी अपनी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत के लिए जाना जाता है. लोग दूर दराज से यहां दर्शन करने और यहां के जायकों का लुफ्त उठाने आते हैं. इस ऐतिहासिक शहर ने हाल ही में अपने 100 साल पुरानी दो ऐतिहासिक भोजनालयों, चाची की दुकान और पहलवान लस्सी की दुकान को खो दिया. शहर के अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत इन दुकानों को ध्वस्त कर दिया गया, जिसने स्थानीय निवासियों और भोजन प्रेमियों के दिलों में गहरा दुख छोड़ दिया है. 

लंका चौराहे के पास बीएचयू रोड पर स्थित ये दोनों दुकानें लहरतारा से भिखारीपुर तिराहा और भेलूपुर विजया मॉल तक फोर-लेन सड़क विस्तार परियोजना के लिए रास्ता बनाने हेतु खाली कराई गई. लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने बताया कि दुकानदारों को पिछले महीने कई नोटिस जारी किए गए थे. इसके बावजूद क्षेत्र को खाली न करने पर रविदास गेट के पास 24 से अधिक प्रतिष्ठानों पर तोड़फोड़ की कार्रवाई की गई. 

सांस्कृतिक विरासत का नुकसान

1915 में स्थापित चाची की दुकान न केवल खाने की जगह थी, बल्कि वाराणसी की सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न हिस्सा थी. इस दुकान पर रोज़ाना लोगों की कतारें लगती थीं, और इसके प्रशंसकों में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी और सपा सांसद डिंपल यादव जैसी हस्तियां शामिल थीं. दूसरी ओर, पहलवान लस्सी की दुकान अपने मलाईदार दही, चीनी, केसर और गुलाब जल के अनूठे मिश्रण के लिए विश्वविख्यात थी. बॉलीवुड सितारे जैसे अक्षय कुमार, राजेश खन्ना, संजय मिश्रा, अनुराग कश्यप और राजनेता मनोज तिवारी व रवि किशन इसके दीवाने थे.

जनता की भावनात्मक प्रतिक्रिया

इन दुकानों के ध्वस्त होने की खबर ने सोशल मीडिया पर भावनाओं का सैलाब ला दिया. नेटिज़न्स ने इन भोजनालयों से जुड़ी अपनी यादों को साझा करते हुए शोक व्यक्त किया. कई लोगों ने इसे केवल एक दुकान का अंत नहीं, बल्कि वाराणसी की आत्मा पर चोट बताया. बनारसियों के लिए ये भोजनालय सिर्फ खाने-पीने की जगह नहीं, बल्कि पीढ़ियों से चली आ रही परंपराओं और यादों का प्रतीक थे.

अब कहां खुली है चाची की दुकान?

आपको बता दें कि अब ये दूकान लंका में रविदास गेट के सामने फिर से शुरू हो गई है. नई दुकान खुलते स्वाद के शौकीनों ने उनके दूकान के बाहर तांता लगाना शुरू कर दिया है.