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Azam Khan: क्या रिहाई के बाद आजम खान तोड़ेंगे अखिलेश यादव से नाता? इस पार्टी में शामिल होने की बढ़ी अटकलें

समाजवादी पार्टी (SP) नेता आजम खान की सीतापुर जेल से रिहाई की उम्मीद के बीच उनके अगले राजनीतिक कदम को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं. उनकी पत्नी डॉ. तजीन फात्मा की BSP प्रमुख मायावती से दिल्ली मुलाकात के बाद अफवाहें बढ़ी हैं, लेकिन SP और BSP नेता इस पर चुप्प हैं.

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Edited By: Princy Sharma
Azam Khan News
Courtesy: X

Azam Khan News: समाजवादी पार्टी (SP) नेता आजम खान की सीतापुर जेल से रिहाई की उम्मीद के बीच राजनीतिक हलचल तेज हो गई है और उनके अगले राजनीतिक कदम को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं. उनकी पत्नी डॉ. तजीन फात्मा द्वारा दिल्ली में BSP प्रमुख मायावती से मुलाकात के बाद इन अफवाहों ने जोर पकड़ लिया. हालांकि, SP और BSP दोनों ही नेताओं ने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी करने से परहेज किया है, जिससे सभी आजम खान के अगले राजनीतिक कदम के बारे में अनुमान लगा रहे हैं.

आजम खान लगभग 23 महीने से जेल में बंद हैं और उन पर विभिन्न आरोपों में 96 मुकदमे चल रहे हैं. 18 सितंबर को उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बाद, उनकी रिहाई की उम्मीदें बढ़ गई हैं. जैसे-जैसे ये उम्मीदें बढ़ रही हैं, उनके भविष्य के राजनीतिक जुड़ाव को लेकर भी चर्चाएं तेज हो गई हैं.

मायावती-तजीन फात्मा की मुलाकात 

यह अटकलें बेवजह नहीं हैं, क्योंकि राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में डॉ. तजीन फात्मा और मायावती के बीच हुई हालिया मुलाकात आजम खान के भविष्य को लेकर केंद्रित थी. यह मुलाकात जल्द ही चर्चा का विषय बन गई और कई लोग इसे महज एक संयोग से ज्यादा कुछ मान रहे हैं, खासकर जब इसे आजम खान के पिछले बयानों और राजनीतिक रुख से जोड़ा जा रहा हो.

आजम खान SP छोड़कर BSP में जा रहे हैं?

इससे पहले, आजाद समाज पार्टी के नेता चंद्रशेखर आजाद ने जेल में आजम खान से मुलाकात की और दलित-मुस्लिम राजनीतिक गठबंधन पर चर्चा की. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना ​​है कि आजम का अगला कदम उनके स्वास्थ्य और उनके परिवार द्वारा लिए गए रणनीतिक फैसलों पर निर्भर करेगा. हालांकि, आजम खान के कुछ करीबी सहयोगियों का दावा है कि डॉ. तजीन फात्मा महीनों से दिल्ली नहीं आई हैं, जिससे मायावती के साथ मुलाकात की सत्यता पर संदेह पैदा होता है.

आजम खान और अखिलेश यादव के बीच तनाव

लोकसभा चुनाव के दौरान टिकट बंटवारे को लेकर मतभेद के कारण आजम खान के सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ रिश्ते तनावपूर्ण हो गए थे. आजम खान ने अखिलेश को रामपुर से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया था, जबकि सीटों के लिए अन्य उम्मीदवारों की सिफारिश की थी. अखिलेश ने इस सुझाव को अस्वीकार कर दिया, जिसके कारण रामपुर के स्थानीय सपा नेताओं ने चुनाव का बहिष्कार कर दिया. अंततः, अखिलेश ने आजम की प्राथमिकताओं को नजरअंदाज करते हुए एक अलग उम्मीदवार की घोषणा कर दी, जिससे दरार और बढ़ गई.

क्या आजम खान सपा में ही रहेंगे?

लखनऊ से लेकर दिल्ली तक राजनीतिक गलियारों में आजम खान के बसपा में शामिल होने की अफवाहें फैल रही हैं, लेकिन अखिलेश यादव इस बारे में सवालों को टालते रहे हैं. हालांकि, सपा के वरिष्ठ नेताओं का तर्क है कि आजम खान पार्टी में ही रहेंगे, क्योंकि उनकी कार्यशैली शायद अन्य राजनीतिक व्यवस्थाओं के अनुकूल न हो. उनका मानना ​​है कि आजम खान की राजनीतिक पहचान सपा में गहराई से जुड़ी है और उनके दल बदलने की संभावना कम है.

आजम खान की कानूनी मुश्किलें और उनका भविष्य

जेल में रहते हुए आजम खान ने कई कानूनी लड़ाइयों का सामना किया है. उनके खिलाफ दर्ज 100 मामलों में से 12 का फैसला आ चुका है, जिनमें से पांच में दोषसिद्धि हुई है और सात में उन्हें बरी कर दिया गया है. बाकी 59 मामलों की सुनवाई सत्र अदालतों में और 19 की मजिस्ट्रेट अदालतों में चल रही है. इन मुकदमों के बावजूद, आजम खान के समर्थकों का मानना ​​है कि उनका भविष्य सपा में ही रहेगा.

हालांकि डॉ. तजीन फात्मा या मायावती की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है, लेकिन राजनीतिक अफवाहें फैलना जारी है, जिससे रिहाई के बाद आजम खान के अगले कदम को लेकर सभी चिंतित हैं.