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राजस्थान में जिस त्रिपुरा सुंदरी मंदिर के दर्शन कर सकते हैं PM मोदी, यहां देवी बदलती हैं 3 रूप, जानें क्या है मान्यता?

Tripura Sundari Temple: क्या आपको पता है त्रिपुरा सुंदरी मंदिर के दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और भक्तों को किसी भी प्रकार की कठिन समस्या से छुटकारा मिलता है. चलिए इस पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में स्थित त्रिपुरा सुंदरी मंदिर की खासियत के बारे में जानते हैं. 

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Edited By: Princy Sharma
PM Modi Banswara Visit
Courtesy: Social Media

PM Modi Banswara Visit: पीएम नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार तेलबौरा स्थित त्रिपुरा सुंदरी शक्तिपीठ मंदिर जा सकते हैं. प्रशासन ने इस यात्रा की तैयारियां शुरू कर दी हैं और वरिष्ठ अधिकारियों के माध्यम से प्रधानमंत्री कार्यालय को इसकी सूचना दे दी गई है. प्रधानमंत्री 25 सितंबर को माही परमाणु ऊर्जा परियोजना के शिलान्यास समारोह के लिए छोटी सरवन क्षेत्र का दौरा करेंगे और उनके कार्यक्रम में त्रिपुरा सुंदरी मंदिर के दर्शन भी शामिल हो सकते हैं.

क्या आपको पता है त्रिपुरा सुंदरी मंदिर के दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और भक्तों को किसी भी प्रकार की कठिन समस्या से छुटकारा मिलता है. चलिए इस पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में स्थित त्रिपुरा सुंदरी मंदिर की खासियत के बारे में जानते हैं. 

भैरव की पूजा के बिना दर्शन अधूरे

देवी का यह रूप दस महाविद्याओं में से एक है और यह मंदिर त्रिपुरा के उदयपुर में एक पहाड़ी पर स्थित है. इसे भारत के 51 शक्तिपीठों (पवित्र स्थलों) में से एक माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि यहां देवी सती का दाहिना पैर गिरा था. देवी त्रिपुर सुंदरी और उनके पति भैरव (त्रिपुरेश) इस मंदिर में विराजमान हैं. कहा जाता है कि भैरव की पूजा किए बिना मंदिर के दर्शन अधूरे हैं.

देवी के 3 अलग-अलग रूप

कहा जाता है कि देवी यहां दिन में तीन अलग-अलग रूपों में दर्शन देती हैं- प्रातःकाल: कुमारिका (बालिका) के रूप में, दोपहर यौवना (युवा) और सायंकाल प्रौढ़ा (परिपक्व) रूप में दर्शन देती हैं. इसी वजह से इन्हें त्रिपुरा सुंदरी कहा जाता है. मंदिर के गर्भगृह में देवी दुर्गा की एक भव्य मूर्ति स्थापित है. यह मूर्ति काले रंग की है और इसमें देवी के अठारह हाथ हैं, जिनमें से प्रत्येक में एक अलग हथियार है. देवी की मुख्य मूर्ति के पीछे 42 भैरवों और 64 योगिनियों की सुंदर मूर्तियां हैं, जो मंदिर की स्थापत्य कला की भव्यता को और बढ़ाती हैं. एक अन्य मान्यता के अनुसार, मंदिर के चारों ओर तीन किले (शक्तिपुरी, शिवपुरी और विष्णुपुरी) थे और देवी को त्रिपुर सुंदरी कहा जाता है क्योंकि वह इन तीनों किलों के मध्य में स्थित थीं.

त्रिपुर सुंदरी मंदिर का महत्व

इस मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी में महाराजा धन माणिक्य ने करवाया था. शुरूआत में, यह भगवान विष्णु को समर्पित था. हालांकि, प्राण-प्रतिष्ठा समारोह से पहले, राजा को देवी माया के एक दर्शन प्राप्त हुए, जिसमें उन्हें मंदिर में देवी माया का सबसे सुंदर रूप स्थापित करने का निर्देश दिया गया था. राजा ने दर्शन का पालन किया. इस शक्तिपीठ को कुर्मभिपीठ ​​के नाम से भी जाना जाता है और दूर-दूर से तांत्रिक साधक यहां अपनी साधना करने आते हैं.

इस पवित्र मंदिर में नवरात्रि के पावन पर्व पर मेला लगता है, जिसमें भारी भीड़ उमड़ती है. इसके अलावा, ऐसा माना जाता है कि इस स्थान के दर्शन मात्र से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.