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'रात का खाना खाने गया था, लौटा तो मां की लाश मिली', बेटे ने बयां की दर्द भरी तस्वीर

Jaipur Hospital Fire: जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में आधी रात को लगी आग ने आठ मरीजों की जान ले ली. हादसे के समय कई परिजन अपने प्रियजनों को बचाने की कोशिश करते रहे, जबकि अस्पताल पर लापरवाही के गंभीर आरोप लगे हैं. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने घटना को 'बेहद दुर्भाग्यपूर्ण' बताया और जांच के आदेश दिए हैं.

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Edited By: Babli Rautela
Jaipur Hospital Fire
Courtesy: X - ANI

Jaipur Hospital Fire: जयपुर के सरकारी सवाई मान सिंह अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में शुक्रवार रात दिल दहला देने वाला हादसा हुआ. उस समय नरेंद्र सिंह अपनी मां के लिए बने आईसीयू के बाहर खाना खा रहे थे. तभी अचानक धुएं और आग की लपटों ने पूरे वार्ड को घेर लिया.

नरेंद्र ने एएनआई को बताया, 'आईसीयू में आग लग गई थी, और मुझे पता भी नहीं चला. मैं उस समय खाना खाने नीचे आया था. आग बुझाने के लिए कोई उपकरण भी नहीं था, कोई सुविधा उपलब्ध नहीं थी. मेरी मां वहां भर्ती थीं.' उनकी मां उन आठ मरीजों में से एक थीं जिनकी इस हादसे में मौत हो गई.

शॉर्ट सर्किट से मची अफरा-तफरी

राजस्थान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एसएमएस के ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू में लगभग रात 11:30 बजे आग लगी. प्रारंभिक जांच में शॉर्ट सर्किट को इसकी वजह बताया गया है. उस समय आईसीयू में 11 मरीज भर्ती थे, जबकि बगल के सेमी-आईसीयू में 13 और मरीज थे. आग इतनी तेजी से फैली कि कई मरीजों को स्ट्रेचर या व्हीलचेयर की बजाय सीधे सड़क पर लाना पड़ा. परिजन अपने मरीजों को बचाने के लिए खुद अस्पताल स्टाफ के साथ जुटे रहे.

पीड़ित परिवारों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही, संसाधनों की कमी और देरी से कार्रवाई के आरोप लगाए हैं. पूरन सिंह ने एएनआई को बताया, 'जब चिंगारी निकली, तो उसके बगल में एक सिलेंडर रखा था. धुआं पूरे आईसीयू में फैल गया, जिससे सभी घबराकर भाग गए. कुछ लोग अपने मरीजों को बचाने में कामयाब रहे, लेकिन मेरा मरीज कमरे में अकेला रह गया. जैसे ही गैस और फैली, उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया.'

ओम प्रकाश ने कहा कि जब उन्होंने धुएं की शिकायत डॉक्टरों से की, तो उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया. 'जब तक धुआं बढ़ता, डॉक्टर और कंपाउंडर भाग चुके थे. केवल चार-पांच मरीजों को ही निकाला जा सका. दुर्भाग्य से, इस घटना में मेरी मौसी के बेटे की जान चली गई. वह लगभग ठीक हो रहा था और उसे दो-तीन दिनों में छुट्टी मिलनी थी'.

परिजनों के परिवार ने जताया दर्द

जोगेंद्र सिंह, जिन्होंने इस आग में अपनी मां को खो दिया, ने कहा, 'मैंने डॉक्टरों को चार-पांच बार सूचित किया, लेकिन उन्होंने इसे सामान्य मानकर टाल दिया. अचानक, पूरे इलाके में धुआं फैल गया और सभी कर्मचारी बाहर भाग गए. मेरी मां अंदर फंसी रह गईं.' रंजीत सिंह राठौर ने बताया कि जब वे रात 11:30 बजे अस्पताल पहुंचे तो उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया. उन्होंने कहा कि, 'कुछ देर बाद जब मैं अंदर घुसा, तो अपने भाई को मृत पाया,'

अस्पताल प्रशासन ने लापरवाही के आरोपों को किया खारिज

एसएमएस अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर प्रभारी डॉ. अनुराग धाकड़ ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा, 'धुआं और जहरीली गैसें तेजी से फैलीं, जिससे ट्रॉमा सेंटर में घुसना मुश्किल हो गया. हमारी टीम और वार्ड बॉय सहित ग्राउंड स्टाफ़ ने मरीजों को बचाने की पूरी कोशिश की.' उन्होंने बताया कि दमकल विभाग को तुरंत सूचना दी गई और आग बुझाने के यंत्रों का प्रयोग भी किया गया. धाकड़ ने कहा, 'आठ मरीजों की जलने और दम घुटने से मौत हो गई. पोस्टमार्टम के बाद स्थिति स्पष्ट हो पाएगी,' 

राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने देर रात अस्पताल पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, 'अस्पताल पहुंचने पर, मैंने डॉक्टरों और अधिकारियों से जानकारी ली और त्वरित राहत कार्य सुनिश्चित करने के निर्देश दिए. मरीजों की सुरक्षा और प्रभावित लोगों की देखभाल के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं और स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है.'