हाल ही में उत्तर प्रदेश के इटावा में एक कथावाचक के के साथ जबरन मुंडन कराने की घटना सामने आई थी, जिसने पूरे देश में सामाजिक और धार्मिक बहस को जन्म दे दिया है. वहीं इस घटना पर अब बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का भी बयान सामने आया है. 25 दिन की विदेश यात्रा से लौटने के बाद भिवंडी से जारी एक वीडियो संदेश में उन्होंने न सिर्फ घटना की आलोचना की, बल्कि इससे उपजे जातिवाद और राजनीतिक रुख पर भी तीखी टिप्पणी की है.
धीरेंद्र शास्त्री ने इस घटना की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि अगर कथावाचक ने कोई अपराध किया था, तो उसका हल न्याय व्यवस्था से निकलता, न कि भीड़तंत्र से. उन्होंने साफ कहा कि किसी को भी न्यायाधीश बनने का हक नहीं है और सजा देना सिर्फ अदालत का काम है. शास्त्री ने राजनेताओं पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वे ऐसे मामलों में राजनीति न करें, वरना इससे समाज में और ज़हर घुलेगा. उनका कहना था कि अगर कानून पर भरोसा रखा जाता तो समाज में आक्रोश नहीं फैलता और ऐसे अवसर पर राजनीति करने वालों को मुंहतोड़ जवाब मिलता.
धीरेंद्र शास्त्री ने स्पष्ट कहा कि सनातन धर्म किसी जाति विशेष की बपौती नहीं है. उन्होंने वेदव्यास, बाल्मीकि, रैदास, कबीर और मीरा बाई जैसे महापुरुषों का उदाहरण देते हुए कहा कि इनकी वाणी ही इनकी पहचान बनी, जाति नहीं. इसी भावना को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने 7 नवंबर से 16 नवंबर तक दिल्ली से वृंदावन तक पदयात्रा की घोषणा की है. इस यात्रा का उद्देश्य लोगों को जातिवाद और ऊंच-नीच से ऊपर उठकर राष्ट्रवाद और सनातन की एकता के लिए प्रेरित करना है. उनका कहना है कि जब तक हिंदू समाज एक नहीं होगा, तब तक भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाना मुश्किल है।