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सिद्धारमैया या डीके शिवकुमार? किस पर मेहरबान होगा हाईकमान; जानें कब तक आएगा कांग्रेस का कर्नाटक सरकार पर फैसला

कांग्रेस हाईकमान 1 दिसंबर से पहले कर्नाटक के नेतृत्व को लेकर बड़ा फैसला करेगा. सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार को दिल्ली बुलाया जा सकता है. राहुल गांधी अंतिम फैसला करेंगे.

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Edited By: Km Jaya
Siddaramaiah and DK Shivakumar India daily
Courtesy: @Amockx2022 x account

बेंगलुरु: कांग्रेस हाईकमान जल्द ही कर्नाटक की राजनीति पर बड़ा फैसला लेने जा रहा है. पार्टी सूत्रों के अनुसार यह निर्णय संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले यानी 1 दिसंबर से पहले आ सकता है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे जल्द ही राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे. यह बैठक आज या कल हो सकती है. इसी के बाद कर्नाटक की सत्ता संतुलन पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा.

सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को 28 या 29 नवंबर को दिल्ली बुलाया जा सकता है. पिछले कई हफ्तों से दोनों खेमों के बीच पावर-शेयरिंग को लेकर जारी अटकलों से पार्टी नेतृत्व चिंतित है. पार्लियामेंट सेशन शुरू होने से पहले स्थिति साफ होने की उम्मीद है, क्योंकि हाईकमान पार्टी के एकमात्र बड़े दक्षिणी गढ़ में अस्थिरता की किसी भी तरह की धारणा से बचना चाहता है.

किसका होगा अंतिम निर्णय?

सिद्धारमैया गुट वर्तमान व्यवस्था को कम से कम मार्च तक जारी रखने और कैबिनेट विस्तार या फेरबदल की मांग कर रहा है. वहीं शिवकुमार समर्थक 2023 में सरकार गठन के समय हुए अनौपचारिक समझौते के अनुसार पद हस्तांतरण की समयसीमा तय करने की मांग कर रहे हैं. अंतिम निर्णय राहुल गांधी और शीर्ष नेतृत्व पर निर्भर करेगा.

हाईकमान का क्या होगा फैसला?

कर्नाटक इकाई में बढ़ते दबाव के बीच अब सबकी नजर इस बात पर है कि हाईकमान 'कर्नाटक फैसले' पर क्या रुख अपनाता है. सिद्धारमैया खेमे का दावा है कि राहुल गांधी मुख्यमंत्री के साथ खड़े हैं और अधिकांश विधायकों का समर्थन भी उन्हीं को है. दूसरी ओर शिवकुमार कैंप के नेताओं, जैसे रमनगरा के विधायक इकबाल हुसैन, ने खुलेआम कहा है कि डीके शिवकुमार ही कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री होंगे.  

कर्नाटक में सत्ता संतुलन को लेकर चल रही इस खींचतान का समाधान अब संसद सत्र शुरू होने से पहले होने की पूरी संभावना है. फैसला जो भी हो, यह स्पष्ट है कि कांग्रेस अपने दक्षिणी गढ़ में किसी भी तरह की अस्थिरता की छवि नहीं बनने देना चाहती. सार्वजनिक बयानबाजी से पार्टी चिंतित है और संसद सत्र से पहले स्पष्टता लाना चाहती है.