Bengaluru latest news: आईटी हब बेंगलुरु अपनी यातायात समस्याओं के लिए कुख्यात है. हाल ही में एक स्थानीय निवासी की सोशल मीडिया पोस्ट ने शहर के ट्रैफिक जाम की स्थिति को उजागर किया, जो तेजी से वायरल हो गई. इस पोस्ट ने न केवल यात्रियों की रोजमर्रा की परेशानियों को सामने लाया, बल्कि बुनियादी ढांचे और जनता की आदतों पर भी सवाल उठाए. एक्स पर अपनी आपबीती साझा करते हुए, एक बेंगलुरु निवासी ने शहर के ट्रैफिक में देरी के अनकहे नियमों का जिक्र किया.
उन्होंने लिखा, "ओआरआर में बुधवार को सबसे ज्यादा जाम लगता है, सीबीडी और आसपास के इलाके मंगलवार को खतरनाक हो जाते हैं." उनकी यह शिकायत हजारों यात्रियों की साझा परेशानी को दर्शाती है. इस व्यक्ति ने बताया कि एक जरूरी पिच मीटिंग में शामिल होने के लिए मोटरसाइकिल का सहारा लिया, फिर भी वे एक घंटे से ज्यादा ट्रैफिक में फंस गए. उन्होंने सुझाव दिया, "नियम 1: शहर में किसी भी यात्रा योजना में +1 घंटा जोड़ें. नियम 2: अगर यह ORR है, तो +2 घंटे जोड़ें, दोनों ही पीक आवर्स के दौरान." यह नियम बेंगलुरु के ट्रैफिक की कड़वी सच्चाई को बयां करता है.
ORR’s peak jams hit on a Wednesday,⁰CBD & its cousins turn cruel on a Tuesday.
— Bengaluru Post (@bengalurupost1) July 29, 2025
Missed a pitch meeting showed up 1 hour late, had to cut a sorry face.Client wasn’t impressed. 😐
Rule 1: Add +1 hr to any travel plan in the city.
⁰Rule 2: Add +2 hrs if it’s ORR — both during… pic.twitter.com/Kn3j0spVRO
सुबह की यात्रा: स्कूटर भी नहीं बचा सका
निवासी ने सुबह 10 बजे हेब्बल से सीबीआई जंक्शन, विंडसर मैनर और हाई ग्राउंड्स तक की अपनी यात्रा का जिक्र किया. स्कूटर के बावजूद, ट्रैफिक जाम से बच पाना असंभव रहा. उन्होंने निराशा भरे लहजे में कहा, "ट्रैफिक से बचने की कोशिश की, लेकिन आखिरकार जाम ही लग गया."दोपहर 2 बजे केआर सर्कल, हाई ग्राउंड्स, और हेब्बल की वापसी यात्रा में भी स्थिति नहीं सुधरी. उन्होंने अपनी हताशा को इन शब्दों में व्यक्त किया, "न +1, न +2, बस उम्मीद और लाचारी." उनका अंतिम अफसोस था कि उन्होंने वर्चुअल मीटिंग का विकल्प क्यों नहीं चुना. "वर्चुअल मीटिंग पर जोर दे सकते थे. हिम्मत नहीं हुई. सहना पड़ा."
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़
इस पोस्ट ने ऑनलाइन चर्चा को जन्म दिया, जिसमें कई लोगों ने अपनी समान अनुभव साझा किए. एक यूजर ने शहर की एक मुख्य सड़क पर जाम लगाए मल्टी-एक्सल डंपस्टर ट्रक की तस्वीर पोस्ट करते हुए टिप्पणी की, "बेंगलुरु में कोई पीक या नॉन-पीक घंटे नहीं होते. सभी घंटे पीक घंटे होते हैं." एक अन्य ने भारी वाहनों की आवाजाही पर सवाल उठाया, "कभी समझ नहीं आएगा कि वे व्यस्त समय में निर्माण कार्य के लिए टिपरों को कैसे अनुमति देते हैं. क्या बिल्डर माफिया पर हमारा कम से कम इतना तो नियंत्रण नहीं है?"
व्यक्तिगत जिम्मेदारी या बुनियादी ढांचे की कमी?
कई यूजर्स ने व्यक्तिगत आदतों पर जोर दिया. एक यूजर ने कहा, "हर कोई अपनी कार या स्कूटर लेकर निकलता है, सड़क पर निकल पड़ता है, ट्रैफिक में फंस जाता है और खुद को छोड़कर दुनिया की हर चीज को दोष देता है. कोई भी आधा किलोमीटर पैदल चलना, बस लेना या मेट्रो का इस्तेमाल करना नहीं चाहता." कुछ ने समाधान सुझाए. एक यूजर ने कहा, "वैकल्पिक सड़कों का इस्तेमाल करें. दोपहिया वाहनों के लिए कई विकल्प हैं." फिर भी, बेंगलुरु की ट्रैफिक समस्या का हल इतना आसान नहीं है.