सोनीपत: हरियाणा में सोनीपत की शुगर मिलों में गन्ने की पेराई का सीजन ऑफिशियली शुरू होने के सिर्फ 24 घंटे बाद ही एक अनचाही रुकावट का सामना कर रहा है. किसानों को 65,000 क्विंटल गन्ने की पर्चियां जारी करने के बावजूद, शुक्रवार शाम तक सिर्फ 12,000 क्विंटल गन्ने ही मिल यार्ड में पहुंचे, जिससे मशीनें बेकार हो गईं और प्रोडक्शन रुक गया.
अधिकारियों ने अब चेतावनी दी है कि अगर सप्लाई में सुधार नहीं हुआ तो पेराई प्रोसेस में अगले दो से तीन दिन की देरी हो सकती है. इस साल, मरम्मत में देरी के कारण पेराई सीजन तय समय से देर से शुरू हुआ. गुरुवार को कैबिनेट मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा ने सीजन का उद्घाटन किया, जिससे किसानों को शुरुआती राहत मिली.
हालांकि, उम्मीद के मुताबिक गन्ने की आवक नहीं हुई है, जिससे मिल के लिए ऑपरेशनल मुश्किलें खड़ी हो गई हैं. मिल की रोजाना पेराई कैपेसिटी 22,000 क्विंटल है, और ठीक से काम शुरू करने के लिए यार्ड में कम से कम 20,000 क्विंटल गन्ने की जरूरत है. गन्ने की कमी को दूर करने के लिए, मिल प्रशासन ने 10 दिसंबर तक 30% ज्यादा वजन की स्कीम की घोषणा की है.
इस स्कीम के तहत, किसान अपनी पर्चियों पर लिखे नंबर से 30% ज्यादा गन्ना ला सकते हैं. किसानों को जल्दी गन्ना देने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए मिल की टीमें भी गांवों में भेजी गई हैं. अभी, सिर्फ शुरुआती किस्म के गन्ने की पर्चियां ही जारी की जा रही हैं. इस सीजन में, मिल की योजना कुल 32 लाख क्विंटल गन्ने की प्रोसेसिंग करने की है, जिसका लक्ष्य अप्रैल के आखिरी हफ्ते तक पेराई पूरी करना है.
मिल अधिकारियों ने किसानों को भरोसा दिलाया है कि डिलीवरी और प्रोसेसिंग को आसान बनाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए गए हैं. किसानों से अपील है कि वे और देरी से बचने के लिए जल्द से जल्द अपना गन्ना मिल में लाएं. इस बीच, गोहाना के आहुलाना में चौधरी देवी लाल कोऑपरेटिव शुगर मिल में गुरुवार को 2025-26 पेराई सीजन का आधिकारिक तौर पर उद्घाटन किया गया, जिसमें सहकारिता मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा मुख्य अतिथि थे.
उद्घाटन के बावजूद, अब तक मिल में सिर्फ 5,000 क्विंटल गन्ना ही आया है. मिल की रोजाना की पेराई क्षमता 25,000 क्विंटल है और अधिकारी आमतौर पर 10,000 क्विंटल मिलने के बाद धीरे-धीरे काम शुरू करते हैं. इस साल इस इलाके में लगभग 9,650 एकड़ जमीन पर गन्ना बोया गया है, और मिल का लक्ष्य 21 लाख क्विंटल पेराई करना है. अधिकारी किसानों को लगातार प्रोत्साहित कर रहे हैं कि वे अपना माल जल्दी पहुंचाएं ताकि सीजन तय समय पर चले.