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'पार्सल बनकर करेंगे सवारी', कर्नाटक में बाइक टैक्सी हुई बैन तो रैपिडो ने निकाला ऐसा जुगाड़, सोशल मीडिया यूजर्स की छूटी हंसी

कर्नाटक सरकार ने 16 जून 2025 से बाइक टैक्सी सेवाओं पर बैन लगा दिया है. इस  फैसले के बाद उबर और रैपिडो जैसे ऐप-आधारित प्लेटफॉर्म्स ने अपने ऐप से बाइक टैक्सी बुकिंग का विकल्प हटा लिया है.

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Edited By: Garima Singh
bike taxi ban in Karnataka
Courtesy: X

Bike taxi services ban Karnataka: कर्नाटक सरकार ने 16 जून 2025 से बाइक टैक्सी सेवाओं पर बैन लगा दिया है. इस  फैसले के बाद उबर और रैपिडो जैसे ऐप-आधारित प्लेटफॉर्म्स ने अपने ऐप से बाइक टैक्सी बुकिंग का विकल्प हटा लिया है. हालांकि, इस प्रतिबंध के बीच एक नया और रचनात्मक समाधान सामने आया है, जिसने सोशल मीडिया पर खूब चर्चा बटोरी है. 

रविवार को यूजर्स ने रैपिडो और उबर ऐप पर "बाइक पार्सल" और "मोटो कूरियर" जैसी नई सेवाएं देखीं, जो दिखने में डिलीवरी सेवाएं हैं, लेकिन इनके पीछे की मंशा ने इंटरनेट पर हलचल मचा दी है. 

"पार्सल" बनकर सवारी 

सोशल मीडिया पर कई यूज़र्स ने अनुमान लगाया कि यह बाइक टैक्सी सेवाओं को नए नाम से जारी रखने की एक चतुर रणनीति है. एक यूज़र ने रैपिडो ऐप का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा, "कर्नाटक हाईकोर्ट ने बाइक टैक्सी पर रोक लगाई, तो रैपिडो ने आपको 'पार्सल' बनाकर डिलीवरी का रास्ता दिखाया!" एक अन्य यूज़र ने हंसी-मज़ाक में कमेंट किया की, "अब मैं यात्री नहीं, पार्सल हूं. भैया, कूरियर बैग की तरह बाइक पर लटकते हुए कहूंगा, 'ज़रा संभालकर चलाना!'"

इंटरनेट पर इस रचनात्मकता की खूब तारीफ हुई. एक पोस्ट में लिखा गया, "रैपिडो ने सरकार को चकमा देकर धूम मचाई।" वहीं, एक अन्य यूज़र ने मज़ाक में कहा, "कल्पना करें, आप ऑफिस के लिए निकलें और बॉस को मैसेज करें, 'सर, मैं रास्ते में हूं, ये रहा मेरा कूरियर ट्रैकिंग नंबर!'"

प्रतिबंध का पालन, लेकिन हास्य बरकरार

इन मजाकिया कमेंट्स बीच यह बैन एक गंभीर नीतिगत कदम है. कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सरकार के उस फैसले को सही ठहराया, जिसमें बाइक टैक्सी सेवाओं को तब तक बंद करने का निर्देश दिया गया, जब तक उनके लिए साफ़ नियम-कानून तैयार न हो जाएं. इस फैसले का उद्देश्य सड़क सुरक्षा और यातायात नियमों का पालन सुनिश्चित करना है. 

रैपिडो का आधिकारिक बयान

रैपिडो ने अपने बयान में कहा, "हम बाइक टैक्सी सेवाओं के महत्व को समझते हैं, जो रोज़मर्रा के यात्रियों के लिए किफायती और सुविधाजनक है. हम कर्नाटक सरकार और कानून का पूरा सम्मान करते हैं. हम अपने समुदाय के प्रति प्रतिबद्ध हैं और उम्मीद करते हैं कि भविष्य में ऐसी सेवाएं नियमों के दायरे में सभी के लिए उपलब्ध होंगी.''